रायपुर- मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा है कि वन्यप्राणी-मानव द्वंद में जान गंवाने वाले वन कर्मियों को भी 15 लाख रुपए की अनुग्रह राशि दी जाएगी।सीएम ने कहा कि राज्य शासन द्वारा वन तस्करों से मुठ़भेड़ में वन कर्मियों की मृत्यु होने पर उन्हें पुलिस कर्मियों के समान 15 लाख रुपए की अनुग्रह राशि दी जाती है। अब वन्य प्राण द्वंद और नक्सली घटना में मृत्यु पर भी वनकर्मियों को अनुग्रह राशि दी जाएगी। मुख्यमंत्री डॉ. सिंह आज साइंस कॉलेज परिसर स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित 13वें राष्ट्रीय वन शहीद दिवस के कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

सीएम डॉ. सिंह ने इस अवसर पर वन अधिकारी स्वर्गीय दौलत राम लदेर की स्मृति में उनके नाम पर शहीद वन कर्मियों के लिए राज्य शासन द्वारा स्थापित प्रथम सम्मान स्वर्गीय श्री दौलत राम लदेर की पत्नी को प्रदान किया। डॉ. सिंह ने उन्हें एक लाख रुपए की सम्मान निधि, शाल एवं श्रीफल प्रदान कर सम्मानित किया गया। स्वर्गीय श्री लदेर ने लैलूंगा में अपनी पदस्थापना के दौरान वनोपज के 15 प्रकरण दर्ज किए और इमारती लकड़ी के अवैध परिवहन को रोकते हुए 16 वाहन जप्त किए थे। उन्होंने वनों की रक्षा के लिए अपनी जान की परवाह न करते हुए वनों की रक्षा के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। सीएम ने इस अवसर पर पांच शहीद वनकर्मियों के परिवारजनों को शॉल और श्रीफल देकर सम्मानित किया। उन्होने इस अवसर पर शहीद वन कर्मियों पर केन्द्रित एक स्मारिका का विमोचन भी किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वन कर्मियों पर जैव विविधता को बचाने, लाखों वनवासियों को अाजीविका देने वाले वनों के संरक्षण और संवर्धन तथा वन्य प्राणियों की रक्षा की महत्वपूर्ण जवाबदारी है। अपने कर्तव्य निर्वहन के दौरान शहादत देने वाले वनकर्मियों का छत्तीसगढ़ सहित पूरा देश सम्मान करता है। डॉ. सिंह ने शहीद वन कर्मियों को विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनका बलिदान विभाग के वन कर्मियों और दूसरे लोगों को वनों और वन्य प्राणियों की रक्षा के लिए समर्पण के जज्बे के साथ काम करने की प्रेरणा देगा। कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय वन अधिकारी-कर्मचारी महासंघ द्वारा किया गया। वन मंत्री महेश गागड़ा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। डॉ. सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 44 प्रतिशत भू-भाग वनाच्छादित है। वन संपदा की दृष्टि से छत्तीसगढ़ का देश में तीसरा स्थान है, 7887 वन प्रबंधन समितियां  11 हजार  गांवों में वनवासियों के सहयोग से वनों को बचाने का महत्वपूर्ण कार्य कर रही हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में वन्य प्राणियों की रक्षा की चुनौती के साथ-साथ वनों की कटाई और वन संपदा की तस्करी रोकने की चुनौती भी है। हमारे वनकर्मी पूरी जवाबदारी के साथ अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं। डॉ. सिंह ने उनकी शहादत को याद करते हुए कहा मैदानी स्तर पर छह हजार 608 वनकर्मी प्रण प्राण से अपने कर्त्तव्यों  का निर्वहन कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने वन रक्षक स्वर्गीय श्री मनीराम गोड़ द्वारा प्रारंभ किए गए सागौन रोपण के कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि श्री गोंड़ द्वारा किए गए सागौन रोपण के कार्य को देखने पूरे देश से लोग आते हैं।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में हर वर्ष सात से आठ करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि अटल विकास यात्रा के दौरान तेंदूपत्ता संग्राहकों को लगभग 750 करोड़ रुपए का बोनस वितरित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 1987 से अब तक प्रदेश में 31 वनकर्मियों ने अपनी शहादत दी, मैं इन सभी वनकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।सीएम ने वनकर्मियों के वेतनमान में संशोधन की मांग पर कहा कि वनमंत्री और प्रधान मुख्य वन संरक्षक इस संबंध में उचित निर्णय लेंगे। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. सिंह और वन मंत्री श्री गागड़ा ने उप वनक्षेत्रपाल से वन क्षेत्रपाल के पद पर पदोन्नत अधिकारियों का स्टार अलंकरण कर उन्हें सम्मानित किया। इस कार्यक्रम में देश के 26 राज्यों के लगभग 250 प्रतिनिधि शामिल हुए। स्वागत भाषण प्रधान मुख्य वन संरक्षक आर.के. सिंह ने दिया। इस अवसर पर राष्ट्रीय वन अधिकारी, कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सतीश मिश्रा, महासचिव कमल सिंह यादव और दिग्विजय सिंह सहित वन विभाग के अनेक वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।