वैभव बेमेतरिहा, रायपुर। छत्तीसगढ़ के चुनाव में टोटके भी बड़े गजब-गजब के हैं. जैसे कि नेता-प्रतिपक्ष को लेकर एक टोटका है कि छत्तीसगढ़ में नेता-प्रतिपक्ष चुनाव नहीं जीतता है. ऐसा ही एक टोटका विधानसभा अध्यक्ष को लेकर भी है. मिथक यह है कि विधानसभा अध्यक्ष भी चुनाव नहीं जीतते. मसलन बीते दो चुनाव में भाजपा के दो दिग्गज नेता विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए चुनाव हारे हैं.  विधानसभा अध्यक्ष चुनाव हार जाएंगे इसकी उम्मीद न तो दिग्गज प्रत्याशियों की थी न ही सत्ताधारी दल को. लेकिन मिथक ऐसा कि टूट नहीं पाया और 2008 में विधानसभा अध्यक्ष रहते प्रेम प्रकाश पाण्डेय चुनाव हारे. इसके बाद 2013 में विधानसभा अध्यक्ष रहते धरम लाल कौशिक चुनाव हारे.

2008 में जिस वक्त चुनाव हो रहा था उस दौरान भाजपा के दिग्गज नेता और वर्तमान में उच्च शिक्षामंत्री प्रेम प्रकाश पाण्डेय विधानसभा अध्यक्ष थे. भिलाई नगर से प्रेम प्रकाश पाण्डेय 2008 में चुनाव लड़े. भाजपा के नेताओं को पूरा भरोसा था कि प्रेम प्रकाश पाण्डेय चुनाव जीतेंगे. लेकिन कांग्रेस के दिग्गज नेता बदरुद्दीन कुरैशी ने प्रेम प्रकाश पाण्डेय को 8 हजार से अधिक मतों से हरा दिया था. तब बदरुद्दीन कुरैशी को 52 हजार 848 मत मिले थे, जबकि प्रेम प्रकाश पाण्डेय को 43 हजार 985 वोट प्राप्त हुए थे.

2013 के चुनाव के वक्त वर्तमान में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष धरम लाल कौशिक विधानसभा अध्यक्ष थे. भाजपा को उम्मीद थी कि कौशिक 2008 में विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव हारने का इतिहास बदल देंगे. लेकिन इतिहास बदलने की जगह कौशिक ने इतिहास दोहरा दी थी. कौशिक विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए बिल्हा सीट से चुनाव नहीं जीत पाए थे.  2013 में धरम लाल कौशिक को 72 हजार मत मिले थे, जबकि सियाराम कौशिक 83 हजार 598 मत प्राप्त हुए थे.

क्या गौरीशंकर अग्रवाल तोड़ पाएंगे यह मिथक?
अब 2018 के इस चुनाव में सभी की निगाहें कसडोल विधानसभा सीट पर है. जहां से विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल भाजपा प्रत्याशी है. लेकिन बीते चुनाव से चल रहे टोटके बीच राजनीतिक गलियारों में, चुनाव प्रचारों में, चौक-चौराहों, बाजारों में खूब चर्चा है कि 2018 के चुनाव में भी क्या टोटका का असर दिखेगा या फिर इस बार विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल चुनाव जीतक इस मिथक को तोड़ देंगे?