रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि हम शराबबंदी करेंगे, लेकिन उस तरह नहीं जैसे नोटबन्दी की गई. हम लोगों को मौत के मुँह में धकेल नहीं सकते. उन-उन राज्यों में शराबबंदी की विफलता का अध्ययन कर कारणों की वजह तलाश रहे है. हमे जनादेश 5 साल के लिए मिला है, 50 दिन के लिए. 2100 रुपये समर्थन मूल्य की बात कहीं गई थी लेकिन क्या दिया गया था? जर्सी गाय बॉटने का वादा किया गया था, लेकिन क्या बांटी गई. हम शराबबंदी जरूर करेंगे. मेरा अनुभव है कि सरकार एक झटके में दुकाने बन्द कर सकती है, लेकिन ये सामाजिक बुराई है. जब तक समाज को साथ नहीं लेंगे ये सफल नही हो सकता. मैं शराबबंदी को लेकर दूसरे दलों के सुझावों को लेकर भी बैठक लूंगा, इस सत्र में ही आप सभी को इस बैठक में आमंत्रित करूँगा.

दरअसल प्रश्नकाल के दौरान पूर्ण शराबबंदी को लेकर बीजेपी विधायक अजय चन्द्राकर ने सवाल उठाया था. उन्होंने शराबबंदी के लिए गठित अध्ययन दल की रिपोर्ट को सदन में पढ़े जाने की मांग करते हुए कहा कि इसके कुछ बिंदुओ को लेकर राजनीति की जा रही है, जबकि इसमें कई अहम सुझाव शामिल किये गए हैं. जेसीसी विधायक अजित जोगी ने पूरक प्रश्न में कहा कि – पूर्ण शराबबंदी की जाएगी. जब यह बात घोषणा पत्र में जारी किया गया था तो इसका मतलब है कि जरूर अध्ययन हुआ होगा, विचार हुआ होगा, तब ये कहा गया होगा कि प्रदेश के मैदानी इलाकों में पूर्ण शराबबंदी की जाएगी. सरकार बनने के बाद फिर अध्ययन करने की क्या जरूरत है. छत्तीसगढ़ के लिए पूर्ण शराबबंदी महती आवश्यकता है. यदि राज्य आज बर्बाद हो रहा है तो इसकी सबसे बड़ी वजह शराब है. बीजेपी के 15 साल के कार्यकाल में शराब की खपत 15 गुना बढ़ी है.