रायपुर. सहायक श्रम आयुक्त शोएब काजी के खिलाफ कार्यालय में पदस्थ एक महिला की शिकायत पर गठित की गई विशाखा जांच समिति की जांच पूरी हो गई है. समिति ने जांच के बाद पीड़िता की शिकायत को सही पाते हुए काजी के खिलाफ अपना फैसला सुनाया है. समिति ने the sexual harassment of women at workplace (prevention, prohibition and redressal) Act, 2013 की धारा 11 एवं धारा 13(3)(i)(ii) के प्रावधान अनुसार दंडित किये जाने एवं अधिनियम की धारा, 15(ए)(बी)(डी)(ई) के तहत शिकायतकर्ता को क्षतिपूर्ति देने की अनुशंसा की है.

काजी के खिलाफ उनके कार्यालय में काम करने वाली एक महिला ने मौदहापारा धाना में शिकायत दर्ज कराई थी. थाना के द्वारा इस मामले में विभाग को विशाखा कमेटी से जांच कराने के लिए श्रमायुक्त को पत्र लिखा था. उपश्रमायुक्त एसएल जांगड़े ने जांच की जिम्मेदारी उपश्रमायुक्त सविता मिश्रा को दी. सविता मिश्रा के नेतृत्व में 6 सदस्यीय जांच समिति ने अपनी जांच शुरु की. समिति में सहायक संचालक औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा दिव्यांशु सिन्हा, सहायक श्रमायुक्त डीपी तिवारी, सहायक ग्रेड- 2 सुनीति अवस्थी, श्रम उपनिरीक्षक अनिता बंजारे एवं 1 सदस्य स्वयं सेवी संस्था किरण शिक्षण संस्थान की किरण साहू शामिल थी. समिति ने शिकायतकर्ता का बयान लिया साथ ही शिकायतकर्ता द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेजी साक्ष्य व 5 गवाहों की सूची और लिखित बयान के आधार पर समिति ने आरोपीगणों पर आरोप तय किये.

ये आरोप हुए सिद्ध…

मुख्य आरोपी द्वारा शिकायतकर्ता का हाथ पकड़कर दोस्ती का प्रस्ताव देना, इंकार करने पर आर्थिक प्रलोभन का प्रस्ताव देना, शिकायतकर्ता के वैयक्तिक (निजी) कृत्यों पर अभद्र टिप्पणी, अपशब्दों का प्रयोग करना एवं शिकायतकर्ता को नौकरी छोड़ने/ निकालने हेतु विभिन्न प्रकार से दबाव बनाना एवं परिस्थितियां उत्पन्न करना.

सह आरोपी द्वारा मुख्य आरोपी के शय पर शिकायतकर्ता के साथ आपत्तिजनक व्यवहार करना एवं मुख्य आरोपी द्वारा शिकायतकर्ता को प्रताड़ित करने एवं नौकरी से निकालने हेतु दबाव बनाने एवं विपरीत परिस्थितियां उत्पन्न करने में पूर्ण सहयोग प्रदान करना.

समिति के सामने नहीं पेश हुए

जांच समिति ने शिकायतकर्ता के अलावा आरोपीगण शोएब काजी और सह आरोपी सहायक ग्रेड 2 के पद पर पदस्थ जयपाल निराला और अंशकालिक स्वीपर देवी प्रसाद निर्मलकर को समिति के समक्ष स्वयं पेश होने व अपने गवाहों और दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत करने का आदेश दिया था. समिति द्वारा आरोपीगण को 24.08.2018, 20.09.2018 एवं 4.10.2018 को बैठक आहुत कर बुलाया गया लेकिन आरोपी समिति के समक्ष प्रस्तुत नहीं हुआ. वहीं सह आरोपीगण 4.10.2018 और 5.10.2018 को समिति के समक्ष उपस्थित होकर प्रश्नों का स्वलिखित जवाब प्रस्तुत किया लेकिन उनके द्वारा किसी भी प्रकार का न तो दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत किया गया और न ही गवाहों की कोई सूची ही दी गई. 4 बार मुख्य आरोपी काजी को समिति ने अवसर दिया लेकिन वे उपस्थित नहीं हुए जिसके बाद समिति ने 29 अक्टूबर को मुख्य आरोपी का अवसर समाप्त किये जाने का निर्णय लिया गया. जिसके बाद समिति द्वारा सभी दस्तावेजों और बयानों का परीक्षण कर शिकायत को प्रमाणित पाया. समिति ने अपनी अपनी अनुशंसा के साथ जांच रिपोर्टअवर सचिव श्रम विभाग, संचालनालय महिला एवं बाल विकास विभाग, उपश्रमायुक्त, सहायक श्रमायुक्त को भेज दिया है.

समिति अधिकार विहीन- शोएब काजी

वहीं इस मामले में आरोपी बनाए गए सहायक श्रमायुक्त     शोएब काजी ने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में कहा, “जो लड़की हमारे यहां काम करती थी हमारे अधीनस्थ थी, बिना आवश्यक शैक्षणिक अहर्ता के नौकरी कर रही थी उसे जॉब से निकाल दिया गया है. क्योंकि शासन के द्वारा जो चीज मांगी गई थी उसके पास उसके पेपर नहीं थी. उसका काम यहां ठीक नहीं था, उसे तीन-तीन बार शोकॉज नोटिस दिया गया था. जिसके बाद उसे काम से निकाल दिया गया. उसने झूठी कंप्लेन दर्ज कराई. झूठी कंप्लेन के आधार एक अधिकार विहीन समिति ने इसकी जांच की. इसकी सही फोरम में जांच नहीं की गई है.” शोएब काजी जांच समिति के सामने प्रस्तुत नहीं हुए थे इस पर उन्होंने कहा,”अधिकार विहीन समिति में हम क्यों जाएंगे. हमने श्रमआयुक्त को समय-समय पर हर लेटर से अवगत कराया है और हमारे वकील ने कमेटी को लीगल नोटिस भी भेजा था. समिति सिर्फ अनुशंसा कर सकती है. यह समिति की रिपोर्ट इम्पलॉयर के पास भी नहीं गई है और आउट भी हो गई है. इस संबंध में हमने एफआईआर भी दर्ज कराई है. समिति रिपोर्ट डायरेक्ट नहीं भेज सकती. काजी ने समिति की जांच रिपोर्ट वायरल होने के खिलाफ मौदहापारा थाना में शिकायत दर्ज कराई है. उन्होंने कहा कि उनकी रिपोर्ट वाट्सअप में कैसे वायरल हो रही है यह समझ के परे है. इसके लिए नियमानुसार दोषियों पर दंडित कार्रवाई करने के लिए थाना मौदहापारा में कल एफआईआर भी कराया है. शिकायत झूठी है, झूठी शिकायत पर अधिकार विहीन कमेटी ने झूठी रिपोर्ट बनाई है और झूठी रिपोर्ट को वायरल भी किया जा रहा है.

बिना आवश्यक दस्तावेज के नौकरी कर रही थी, सारे काम होने के बाद लोगों को चक्कर कटवाती है. शिकायत मिलने के बाद हमने जांच करवाई. बाद में पता चला वह बगैर आवश्यक दस्तावेज के डेढ़ साल से नौकरी कर रहे थे. पद से जुड़े आवश्यक दस्तावेज उसके पास नहीं थे. महिला की नियुक्ति मेरे समय से पहले की थी. हमने दस्तावेज मांगा वो दस्तावेज नहीं दे पाई इसलिए हमने निकाल दिया. शासन के पैसों की डेढ़ साल तक हानि भी हुई है इस संबंध में एफआईआर करने के लिए थाना को हमने लिखा भी है.

काजी ने बताया कि the sexual harassment of women at workplace ये कानून 2013 में आ चुका है. इसमें दो कमेटी होना चाहिए. एक इंटरनल कमेटी और दूसरा लोकल कमेटी. इंटरनल कमेटी उस कार्यालय की होती है न कि हेड आफिस की, हेडआफिस की कमेटी सभी 27 जिलों की जांच नहीं कर सकती है. मैं कार्यालय प्रमुख हूं और यह मामला जिला का है इसलिए कलेक्टर द्वारा बनाई गई समिति लोकल कमेटी में इसकी जांच होना है. जहां यह मामला चल रहा है. इसलिए हेडआफिस की समिति अधिकार विहीन है. इसके मामले में उन्हें अवगत भी कराया गया और उन्हें लीगल नोटिस भी भेजा गया.

शोएब काजी ने समिति की अध्यक्ष सविता मिश्रा पर दुर्भावना का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि समिति की अध्यक्ष सविता मिश्रा मुझसे दुर्भावनापूर्ण भाव रखती हैं इसलिए उन्होंने सारी चीजें गलत की हैं, मीडिया में वायरल किया है, थाना में वायरल किया है. समिति की अनुशंसा सिर्फ गठनकर्ता तक सीमित रहती है. गठनकर्ता के आगे समिति अनुशंसा नहीं कर सकती है.