वैभव बेमेतरिहा, रायपुर। 7 दिसंबर से लगातार अलग-अलग पैमानों में दिखाएं जा रहे एग्जिट पोल में औसत आंकड़ा जो कि पूर्ण बहुमत का है वो कांग्रेस के पक्ष में दिख रहा है. मतलब टीवी चैनलों के सर्वों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बन रही है. ऐसी स्थिति में अब हर किसी की निगाह कांग्रेस के उन मजबूत चेहरों पर है जो की सीएम पद की रेस में दिखाई दते हैं. लिहाजा इसे लेकर भी अलग-अलग आकंलन सभी का है.  चर्चाओं के मुताबिक 5 ऐसे चेहरे हैं जिन्हें मुख्यमंत्री के तौर कांग्रेस के अंदर भी और बाहर भी देखा जा रहा है. इनमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल, नेता-प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव, ओबीसी वर्ग के राष्ट्रीय अध्यक्ष ताम्रध्वज साहू, पूर्व केन्द्रीय मंत्री चरण दास महंत और कांग्रेस में सबसे वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा हैं. हालांकि इन सबके बीच आदिवासी नेतृत्व में उपनेता-प्रतिपक्ष कवासी लखमा, आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मनोज मंडावी और प्रदेश आदिवासी कांग्रेस के अध्यक्ष अमरजीत भगत भी हैं.

आइए जानते हैं टॉप 5 सीएम पद के दावेदारों के क्या है आधार ? प्लस क्या, माइनस क्या …?

1. भूपेश बघेल
मजबूत पक्ष-  भूपेश बघेल की सबसे बड़ी मजबूती ये हैं कि वे लगातार दो बार से अध्यक्ष हैं. अगर कांग्रेस की सरकार बनी तो उन्हें छत्तीसगढ़ में 15 साल बाद कांग्रेस की वापसी कराने का श्रेय स्वाभाविक रूप से जाएगा. इसके साथ ही वे प्रदेश में पिछड़ा वर्ग के सबसे बड़े नेताओं में से एक हैं. साथ ही पिछड़ा वर्ग बाहुल्य कुर्मी समाज के नेतृत्वकर्ता भी. वहीं मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में मंत्री होने का अनुभव. पूर्व उपनेता-प्रतिपक्ष और आक्रमक शैली के कड़क नेता. इन सबके बीच मजबूत आधार ये भी है कि रमन सरकार के खिलाफ बेहद आक्रमक तरीके से लड़ाई. उनके नेतृत्व में अमित जोगी, सियाराम कौशिक, आरके राय जैसे विधायकों के खिलाफ कार्रवाई. अजीत जोगी को पार्टी छोड़ने पर मजबूर करना.

कमजोर पक्ष- भूपेश बघेल के साथ सबसे बड़ी कमजोरी है कि उनके साथ वरिष्ठ या कहिए पहली पंक्ति के शीर्ष नेताओं का साथ नहीं होने की बातें. जातिवाद की राजनीति का आरोप. सीडीकांड में नाम आना. प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया से भी अन-बन की खबरें.

2. टीएस सिंहदेव
मजबूत पक्ष-  टीएस सिंहदेव का सबसे बड़ा मजबूत आधार ये है कि वे इस समय विधायक दल के नेता हैं. नेता-प्रतिपक्ष के तौर बीते 5 साल उन्होंने बिना किसी विवाद के काम किया है. सभी विधायकों के साथ उनका आत्मीय संबंध. विरोधी दल के नेताओं के साथ भी उनके मित्रवत संबंंध. दिल्ली में भी मजबूत पकड़. मध्यप्रदेश और राजस्थान के बड़े नेताओं के जरिए कांग्रेस आलाकमान के बीच पैठ.  जनघोषणा पत्र के तहत एक लाजवाब काम. चुनाव में जनघोषणा पत्र का सबसे असरकारी होना. सरगुजा महराजा होने के बाद भी जमीनी स्तर पर बेहद लोक्रपिय और जनप्रिय नेता की छवि. सभी वर्गों के मिनलसार, सौम्य और मुस्कुराता चेहरा.

कमजोर पक्ष- राजपरिवार से होना. जातीय समीकरण चला तो समान्य वर्ग का होना भी एक फैक्टर. मंत्री पद का कोई अनुभव नहीं. राजनीति में बाकी प्रमुख दावेदारों में कम अनुभव.

3. चरण दास महंत
मजबूत पक्ष- चरण दास महंत का एक बड़ा मजबूत पक्ष ये हैं कि वे केन्द्र में मंत्री रह चुके हैं. अविभाजित मध्यप्रदेश में गृहमंत्री रह चुके हैं. दिल्ली में एसआईसीसी के बड़े नेताओं के साथ घनिष्ठ संबंध. ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधित्व. सभी प्रमुख दावेदारों के बीच एक लंबा राजनीतिक अनुभव.  चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष के तौर पर बेहतरीन चुनाव संचालन. वरिष्ठ नेताओं के बीच एक सर्वमान्य चेहरा होने की चर्चा.

कमजोर पक्ष-  मंहत की सबसे बड़ी कमजोरी ये है कि 2013 का चुनाव उनके अध्यक्ष रहते ही कांग्रेसी हार गई.  झीरमघाटी नक्सल हमले को प्रदेश भर में नहीं भूना पाने की नाकामी. लंबा राजनीतिक अनुभव होने के बाद भी रायपुर और बस्तर संभाग में जनप्रयि नेता के तौर मजबूत छवि नहीं. उद्योगपतियों और कारोबारियों से अधिक मित्रता होने की चर्चा. बतौर केन्द्रीय मंत्री रहते कोई खास कार्य छत्तीसढ़ के लिए नहीं. ओबीसी वर्ग में भी बाहुल्य साहू और कुर्मी समाज के बीच पैठ नहीं होना.

4. ताम्रध्वज साहू
मजबूत पक्ष- 
ताम्रध्वज साहू का सबसे बड़ा मजबूत पक्ष ये है कि दिल्ली के भीतर उनकी पैठ बढ़ी है. राहुल गांधी टीम के एक मजबूत हिस्सा हैं. कांग्रेस ओबीसी वर्ग के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. 2014 के चुनाव में मोदी लहर के बीच लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने. छत्तीसगढ़ के सबसे ताकतवर साहू समाज में नेतृत्वकर्ता. तीन बार के विधायक और पूर्व मंत्री होने का अनुभव. सौम्य और साफ-सुथरा छवि.

कमजोर पक्ष-
सांसद साहू की कमजोरी ये है कि कम पढ़ा-लिखा होना. अन्य प्रमुख दावेदारों के बीच कम राजनीतिक अनुभव. दुर्ग संभाग तक ही राजनीतिक सक्रियता.

5. सत्यनारायण शर्मा
मजबूत पक्ष-  सत्यनारायण शर्मा के लिए सबसे मजबूत पक्ष उनका सबसे वरिष्ठ विधायक होना. सभी प्रमुख दावेदारों में सबसे लंबा राजनीतिक अनुभव. 6 बार से विधायक. मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ मंत्री होने का अनुभव. प्रदेश कांग्रेस के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष. समान्य वर्ग से होने के बाद भी सभी वर्ग-समाज के बीच एक जनप्रिय नेता के तौर पर छवि. किसी तरह का कोई विवाद नहीं.

कमजोर पक्ष-  पूर्व मंत्री शर्मा की कमजोरी समान्य वर्ग से होने जातीय समीकरण के पेच में फंस सकते है.