अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के सुरता में आयोजित हुआ “मातृभासा स्वाभिमान दिवस”
भाषा और मजहब बदलता है तो राष्ट्रीयता भी बदल जाती है
छत्तीसगढ़िया महिला क्रांति सेना और छत्तीसगढ़ी राजभासा मंच का आयोजन

बिलासपुर। विश्व मातृभाषा दिवस के मौके पर बिलासपुर में एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस संगोष्ठी में भाषाविदों के साथ ही राजनेताओं और अन्य लोगों ने भी हिस्सा लिया. कार्यक्रम में सांसद, विधायकों के सभी लोगों ने एक सुर में कहा कि हमर राजभासा म अब पढ़ई-लिखई होना चाही संगे-संग सरकारी कामकाज घलोक.

संजीवनी अस्पताल सभागार में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत महतारी बंदना से हुई. राज्यसभा सांसद छाया वर्मा ने कहा कि शिक्षा का अधिकार हमारे घोषणा पत्र में है और पढाई लिखाई माध्यम करवाने के लिये यथासंभव काम भी किया जायेगा. मातृभाषा में शिक्षा का अधिकार सभी का संवैधानिक अधिकार है.

मस्तूरी विधायक कृष्णमूर्ति बाँधी ने कहा कि जनभासा से राजभासा बनी छत्तीसगढ़ी को अब छत्तीसगढ़ में सम्मान मिल चुका है और पढाई -लिखाई माध्यम बनाने से इसके संरक्षण में बल मिलेगा. आने वाले सत्र में वे विधानसभा में इस मुद्दे को जरुर उठायेंगें. उन्होंने कहा कि सभी को अपनी मातृभाषा बर गर्व होना चाहिये.

तखतपुर विधायक रश्मि सिंह ने कहा कि सभी को अपनी मातृभाषा का सम्मान करना चाहिये और बातचीत भी अपनी मातृभाषा में करनी चाहिये वे अपनी भाषा छत्तीसगढ़ी का ही अधिक से अधिक उपयोग करती हैं. उन्होंने भी विधानसभा में भी जनभासा से राजभासा बनी छत्तीसगढ़ी माध्यम से पढाई लिखाई के मुद्दे उठाने की बात कही.

पिछड़ा वर्ग समाज के नेता ब्रजेश साहू ने भी छत्तीसगढ़ी को शिक्षा का माध्यम बनाने पर बल दिया है. यथासंभव मातृभासा के विकास कार्य को आगे बढ़ाने पर एकजुट होकर लक्ष्य की ओर आगे बढने प्रेरित किया है.

विद्या भारती के प्रांतीय सचिव संतोष तिवारी ने विलुप्त होती भाषाओं की स्थिति पर गहरा दुख व्यक्त करते हुये कहा कि वर्तमान में विश्व में 250 बोलियाँ विलुप्त होने के कगार पर है और इसमें हमारी मातृभाषा छत्तीसगढ़ी भी शामिल है.

आकाशवाणी कार्यक्रम अधिशासी महेंद्र स़िह ने कहा कि आकाशवाणी में समय समय पर छत्तीसगढ़ी भासा में कार्यक्रम आयोजित होते रहे हैं और आने वाले समय में भी होते रहेंगें. इससे अपनी भाषा के प्रति लोगों जुड़ाव होगा.

छत्तीसगढ़ी राजभासा मंच के प्रांतीय संयोजक नंदकिशोर शुक्ल ने बताया कि पूर्वी पाकिस्तान से बंगला देश के विभाजन पर भाषा के लिये मर मिटने वाले बंगलाभाषायी बलिदानियों की याद में 21 फरवरी को पूरे विश्व में शहीद -दिवस के रुप में मनाया जाता हैं. उन बलिदानियों को याद कर उनसे भाषा के लिये मर मिटने का संकल्प लेना चाहिये. उन्होंने कहा कि भाषा और मजहब जब बदलता है तो राष्ट्रीयता भी बदल जाती है रुस और यूक्रेन से झगड़ा इसी बात को लेकर है.

युवा पीढ़ी का नेतृत्व करने वाले प्रणव शर्मा ने कहा कि अपनी मातृभाषा का संरक्षण करने का कहना कमात्र उपाय यही है कि गाँव-गाँव जाकर जन जागरन अभियान चलाया जाय.
छत्तीसगढ़िया महिला क्रांति की प्रदेशाध्यक्ष लता राठौर ने अपनी मातृभासा छत्तीसगढ़ी सहित हलबी ,गोंड़ी ,कुड़ुख सहित सरगुजही भासा को बचाने के लिये आने वाले सत्र में पढाई लिखाई को माध्यम बनाने की मांग की. उन्होंने कहा कि यह तभी संभव है जब हम एकजुट होकर इस दिशा में साथ चलेंगे, अगे बढ़ेंगे.