रायपुर। छत्तीसगढ़ में खूब विकास हो रहा है. यहाँ विकास की रफ्तार अन्य राज्यों से बहुत तेज है. कई क्षेत्रों में प्रदेश के नाम विशेष उपलब्धियाँ दर्ज है. यह प्रदेश की अच्छाई भी और सच्चाई भी. लेकिन इसी प्रदेश की एक और सच्चाई जिसे गुरुवार को आईएफएस अधिकारी के सुब्रमण्यम बयां किया.  जी हाँ वरिष्ठ वन अधिकारी सुब्रमण्यण प्रदेश में चल रहे सतत् विकास की प्रकिया पर गंभीर सवाल उठाएं है.

पं.रविशंकर शपक्ल विवि में अर्थशास्त्र विभाग की ओर से सतत् विकास-मुद्दे और चुनौतियाँ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में बोलते हुए  के. सुब्रमण्यम कहा, ”  सतत् विकास के लिये जो हमारे पास प्राकृतिक संसाधन है उसका उचित उपयोग करेंगे तभी हम सतत् विकास कर पायेंगे और आने वाले पीढ़ियों के लिये कुछ बचा पायेंगे. यदी हम 36 गाँव को उजाड़कर शहर से दूर मंत्रालय बनाते है वह भी उन गांवों का जहाँ लोग कृषि कार्य करते थे अब वहाँ वे कृषि कार्य से दूर हो गयए तो इसे हम सतत् विकास नहीं कहेंगे.  भिलाई स्टील प्लांट के लिये जो कच्चे माल का संसाधन दल्लीराजहरा से मिल रहा था उसे समय से पहले खत्म कर दिया और नया स्त्रोत रावघाट मे खोजा गया है . यदि यहाँ के जंगलों को नुकसान पहुंचा कर बीएसपी को कच्चे माल दिया जाये तो हजारों साल पहले स्थापित जंगलों को पुनः स्थापित नहीं किया जा सकता. दूसरी ओर रावघाट के जंगलों मे ऐसे अनेक औषधि पौधे है जिनसे धान मे जो कीट लगती है उसके उपयोग से बचाया जा सकता है. अगर इन जंगलों को उजाडऩे से विकास होता है तो उसे सतत् विकास नहीं कह सकते. रायगढ़ पहले उद्योगों की स्थापना नहीं हुई थी तो वहां के अधिकांश कृषि क्षेत्र दो फसली थी. अब केलो नदी को बीच से मोड़कर उद्योगों को पानी दिया जा रहा हैं जिससे वहां के कृषक अब दो फसलों की जगह एक फसल का उत्पादन कर रहे है जिससे कृषक प्रभावित हो रहे है तो यह सतत् विकास नहीं है. कोरबा क्षेत्र मे उद्योगों की स्थापना की जाये तो लोगों का जीना मुस्किल हो जाएगा इसलिए प्राकृतिक संसाधनों का समूचित उपयोग से सतत् विकास हो सकता है. अगर इन संसाधनों का दुरुपयोग होगा तो आने वाले पीढ़ियों के लिये बहुत मुश्किल होगा. मेरा मानना है कि विकास जरूरी है हर समय पर. लेकिन विकास की अवधारणा पर्यावरण अनुकूल हो.”

वहीं कुलपति डॉ. एसके पाण्डेय ने कहा, कि बिना प्रकृति के हम कुछ भी नहीं है. मानव जीवन प्रकृति से ही है. ऐसे में प्राकृतिक संसाधनों के साथ खिलवाड़ होगा तो जाहिर तौर पर इसका सीधा असर हम पर ही होगा. आज स्वच्छ पानी, हवा दोनों की कमी हो चली है. ऐसी स्थिति में जलवायु परिवर्तन कों रोकना होगा. खास तौर पर छत्तीसगढ़ में जो असर दिख रहा उस पर गहन चिंतन के साथ सरकार को, समाज को काम करने की जरूरत है.