कंधों पर परिवार चलाने की जिम्मेदारी सारी इच्छाओं और सपनों को दबा देती है. गरीबी की आंधी की थपेडे़ जब टूटे हुए छप्परों से टकराते हुए थके हुए शरीर पर पड़ते हैं तो शरीर भी साथ छोड़ने लगता है और हिम्मत भी. परिवार चलाने की चिंता आंखों से नींद और आंसू दोनों ही सुखा देती है. ऐसी ही कहानी है फगनी बाई की. फगनी पति और तीन बच्चों के साथ अपने हंसते खेलते परिवार के साथ जीवन बीता रही थी आंखों में बहुत से ख्वाब थे, बच्चों को अच्छे से पढ़ा लिखा कर नौकरी कराने का सपना था. लेकिन फगनी को भी कहां पता था कि उसके सारे सपने जल्द ही टूटने वाले थे. पति की आकस्मिक मौत ने परिवार को झकझोर के रख दिया. परिवार चलाने की जिम्मेदारी फगनी पर आ गई. बच्चों को पढ़ाने और घर का खर्च चलाने में फगनी इतना व्यस्त हुई कि कभी अपने सपनों के बारे में सोचा ही नहीं. लेकिन जब कोई जरूरी काम आन पड़ता, फोन की जरूरत होती तो लगता की काश खुद का फोन होता तो किसी के आगे हाथ नहीं पसारने पड़ते. फगनी के इस अधूरे और धुंधले हो चले सपने को पूरा किया प्रदेश की रमन सरकार ने. संचार क्रांति योजना के तहत फगनी के पास जब स्मार्ट फोन आया तो उसकी आंखों से आंसू छलक पड़े मानों किसी ने मन की बात पढ़ ली हो.
भूपेंद्र चौहान, विधि अग्निहोत्री । फगनी रायगढ़ की रहने वाली है और घर में अकेली कमाने वाली है. पति की मौत के बाद फगनी को परिवार का पेट भरने के लिए काम करना बहुत जरूरी था. फगनी ज्यादा पढ़ी लिखी भी नहीं थी कि नौकरी कर सके लिहाजा फल बेचकर घर का खर्च चलाने लगी. फल बेचकर जितने पैसे मिलते उससे बस जैसे तैसे खर्च चलता. स्मार्ट फोन खरीदने के लिए पैसे ही नहीं हो पाते. जब फोन की जरूरत पड़ती तो भाग कर पड़ोसियों के पास जाती, कभी-कभी पड़ोसी फोन नहीं देने के लिए बहाने बना देते. फगनी सोचती कि अगर स्मार्ट फोन होता तो आज दूसरों से फोन मांगने की नौबत नहीं आती. फगनी को जैसे ही पता चला कि राज्य सरकार संचार क्रांति योजना के तहत उनके जैसे लाखों परिवारों को मुफ्त में स्मार्ट फोन दे रही है तो उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा. जब फगनी के हाथों में स्मार्ट फोन आया तो उसे यकीन ही नहीं हुआ कि अब उसके पास भी खुद का स्मार्ट फोन है. जिस महिला ने आजीवन संघर्ष किया हो उसके संघर्ष को कम करने का काम किया प्रदेश सरकार ने. फगनी को अब बात करने के लिए पड़ोसियों से फोन मांगने की जरूरत नहीं. स्मार्ट फोन ने उसे आत्म निर्भर बना दिया है. फगनी कहती है कि सरकार की इस महती योजना ने समाज के उन अंतिम गरीब व्यक्ति को आज के दौर से जोड़ा दिया है इसका प्रत्यक्ष उदाहरण आज देखने को मिल रहा है.
वहीं यशोदा के पति राजू एक ऑटो चालक हैं ऑटो चलाकर अपना परिवार पाल रहे हैं राजू सुबह से ही ऑटो लेकर निकल पड़ते हैं और देर रात घर लौटते हैं यशोदा घर पर अकेली रहती हैं और बच्चे भी अभी छोटे हैं लिहाजा यशोदा को डर बना रहता कि कहीं कुछ हो जाए तो पति को बता भी नहीं सकती क्योंकि घर पर फोन ही नहीं. पड़ोसियों से कब तक फोन मांगे. बार-बार फोन देना पड़ोसियों के भी अच्छा नहीं लगता. इसलिए यशोदा पति से कहती कि एक फोन खरीद कर दे दें. लेकिन राजू इतना सक्षम नहीं था कि एक स्मार्ट फोन खरीद सके. लेेकिन यशोदा की चिंता दूर की प्रदेश सरकार ने. जब से यशोदा के पास स्मार्ट फोन आया है वह बहुत खुश है अपने परिजनों से बात कर पा रही है. राजू को अगर घर आने में देर होती है तो यशोदा खुद ही फोन कर राजू से बात कर लेती है.
कुमारी सारथी की कहानी भी फगनी की तरह ही है वो भी सब्जी बेचकर परिवार का पेट पालती है. पहले सारथी के पास फोन ही नहीं था क्योंकि सब्जी बेचकर इतने पैसे नहीं मिलते की एक स्मार्ट फोन खरीद सकें. लेकिन जब से सारथी को फोन मिला है वह हर दिन कुछ नया सिख रही है. नई-नई जानकारी फोन से ले रही है. जिस महिला को पहले कभी फोन चलाना तक नहीं आता था वह अब फोन से ही सब्जी के अॉर्डर ले रही है और सब्जियों की डिलीवरी कर रही है. जिसे भी सब्जी चाहिए होती वो फोन पर ही सारथी को बता देता है और सारथी उनके घर सब्जी पहुंचा देती है. स्मार्ट फोन ने एक सब्जी बेचने वाली महिला को स्मार्ट बना दिया है.
छत्तीसगढ़ सरकार की स्काई योजना बहुत लाभकारी है. पूर्व में छत्तीसगढ़ में जब सर्वे कराया गया तब यहां की मोबाइल कनेक्टिविटी 40 से 45 के बीच में थी इसलिए प्रदेश के मुखिया ने इस कनेक्टिविटी को पूरे देश में अग्रणी हो इसके लिए इन्हें मोबाइल देने का निर्णय लिया और कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए नए टावरों की स्थापना की गई और प्रदेश की हमारी माताओं और बहनों को मोबाइल दिया है साथ ही कॉलेज छात्रों को भी मोबाइल दिया जिससे इन्हें इनकी पढ़ाई में सहयोग मिल सके और इन छात्रों के मोबाइल में शिक्षा संबंधित सॉफ्टवेयर भी दिया जा रहा है। इस मोबाइल संचार क्रांति से छत्तीसगढ़ की महिला मुखिया के पास पूर्व में मोबाइल नहीं था जिससे उनकी परिवार की बेटी की शादी हो जाने से इनकी बात होने में दिक्कत आती थी जो अब इनके खुद की मोबाइल होने से इन्हें ऐसी दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता था जो अब इस योजना के बाद दूर हो रहा है. मोबाइल वितरण के माध्यम से मुझे भी कई जगह जाने का मौका मिला है, जिन महिलाओं को हमने मोबाइल वितरित किया वे अपने बेटे बेटियों से बात करके बहुत ही खुश नजर आए, वहीं छात्र भी इस मोबाइल कनेक्टिविटी से खुश नजर आए हैं, और इन्हें इनकी पढ़ाई में भी बहुत उपयोगी सिद्ध हो रहा है.