संपादकीय फेसबुकिया, व्हाट्सेपिया, ट्वीटरिया, यूट्यूबिया, गूगलिया, इन्स्टाग्रामिया जैसे नए समाज का अभ्युदय !
संपादकीय राजभाषा दिवस: सरकारी उपेक्षा में सिर्फ नारा, विज्ञापन और भाषण की भाषा बनकर रह गई है मातृभाषा छत्तीसगढ़ी, अब तक ये हुआ