रायपुर- छत्तीसगढ़ में संसदीय सचिवों की नियुक्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य शासन समेत सभी संसदीय सचिवों को नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने 8 हफ्तों में इस पूरे मामले में जवाब तलब किया है. इधर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य शासन के महाधिवक्ता जुगलकिशोर गिल्डा ने कहा है कि संसदीय सचिवों की नियुक्ति को अवैध ठहराने वाली आईटीआई एक्टिविस्ट राकेश चौबे और मो.अकबर की याचिका पर सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ उच्च न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया था. उच्च न्यायालय के फैसले के विरोध में राकेश चौबे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई.
महाधिवक्ता जुगल किशोर गिल्डा ने कहा कि उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टी बी राधाकृष्णन औऱ न्यायमूर्ति शरद गुप्ता की खंडपीठ ने इस याचिका को यह कहते हुए खारिज किया था कि संसदीय सचिवों की नियुक्तियां संविधान में अनोन नहीं है. याचिकाकर्ताओं की ओर से विमलांशु राय केस समेत पांच उच्च न्यायालयों के जजमेंट के हवाले से बार-बार कहा जा रहा था कि संसदीय सचिवों की नियुक्ति नहीं हो सकती, क्योंकि आर्टिकल 164 ( 1A) जो अटल सरकार ने इंट्रोड्यूश किया था, उसके मुताबिक यह नियुक्ति अवैध है. लेकिन उच्च न्यायालय ने इन दलीलों को अग्राह्य कर दिया था.
गिल्डा ने कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले को राकेश चौबे ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. उनकी ओर से संजय हेगड़े ने पैरवी की. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अजय खानविलकर और जस्टिस धनंजय चंद्रचुड़ की बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई की. याचिकाकर्ता के वकील की ओर से विमलांशु राय केस का हवाला देते हुए यह दलील दी कि उच्च न्यायालय का फैसला गलत है, लिहाजा याचिका स्वीकृत करते हुए संसदीय सचिवों के कामकाज पर रोक लगाई जाए. याचिकाकर्ता के वकील ने इस मामले में मुख्यमंत्री को भी पार्टी बनाए जाने की मांग की. लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री को पार्टी बनाए जाने से इंकार करते हुए राज्य शासन के साथ-साथ संसदीय सचिवों को नोटिस जारी किया है. इस मामले में आठ हफ्तों में शीर्ष न्यायालय ने जवाब मांगा है.