रायपुर। राजधानी रायपुर में आज मानव अधिकार कार्यकर्ताओं ने जन आंदोलनों पर बढ़ते सरकारी दमन के खिलाफ एकजुटता सम्मेलन का आयोजन किया. रायपुर के तेलघानी नाका के पास स्थित सम्मेलन में छत्तीसगढ़ के साथ-साथ मध्यप्रदेश की भी सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए है. सम्मेलन का उद्देश्य आदिवासी-दलितों के साथ गांव-गरीबों पर हो रहे शोषण के खिलाफ आवाज मुखर रखना. शोषण के खिलाफ हल्ला बोलने वाले सामाजिक कार्यकर्ता, मानव अधिकार कार्यकर्ता, वकील, पत्रकार, लेखकों के साथ खड़े रहना. सामाजिक और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि सरकार झूठे केस दर्ज बुद्धिजीवियों को गिरफ्तार कर रही है. देश भर में नक्सलवाद के आरोप में 10 सामाजिक और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है. सरकार खुद जनविरोधी, समाज विरोधी, संविधान विरोधी काम कर रही है.
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने कहा कि बस्तर जैसे इलाकों में नक्सल विरोधी अभियान के नाम से फर्जी मुठभेड़ और यौनिक हिंसा किया जा रहा है. उत्तर छत्तीसगढ़ में गैर कानूनी तरीके से भूमि का अधिग्रहण कर पेसा कानून का उल्लघंन किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ के भीतर में कॉरपोरेट लूट मची हुई है. सरकार पूंजीपतियों के साथ खड़ी हुई है. वहीं नदी घाटी मोर्चा के संयोजक गौतम बंधोपाध्याय ने कहा कि देश भर में आज हर एक को एकजुट होना होगा. जरूरी है कि समाज के भीतर समानता का भाव रहे. वर्तमान हालात में सामाजिक कार्यकर्ताओं के ऊपर हमले बढ़े हैं. अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला हो रहा है. लिखने से, बोलने से रोका जा रहा है. मध्यप्रदेश पहुँची मानव अधिकार कार्यकर्ता माधुरी ने कहा कि सरकार के विकास के नाम पर दमन कर रही है. मानव अधिकार कार्यकर्ताओं को समाज के भीतर काम करने से रोका जा रहा है. सुधा भारद्वाज जैसी वकील को गिरफ्तार करना सरकारी तानाशाही प्रवृत्ति को दर्शाता है. भीमा कोरेगांव का केस राजकीय दमन को दर्शाता है. राज्य सुरक्षा के नाम लोकतांत्रिक विरोध की गुंजाइश को खत्म करना बहुत ही खतरनाक है.