रायपुर। मौका था बालमित्र राज्य की अवधारणा पर आयोजित राष्ट्रीय परामर्श कार्यशाला का. जिसमें ना कोई अवधारणा थी, ना ही विचार या परामर्श की नियत. एक दिन की इस कार्यशाला में वैसे तो छत्तीसगढ के साथ ही अन्य राज्यों के प्रतिनिधि भी पहुंचे थे, लेकिन गंभीरता किसी चौपाल पर होने वाली बैठक से भी कम थी. इन तमाम बातों को कहने के पीछे कई कारण हैं जो कार्यक्रम के दौरान सामने आए.

दरअसल हुआ ये कि बाल मित्र पर आयोजित कार्यशाला निर्धारित समय के मुताबिक सुबह 9.30 मिनट पर शुरू होनी थी.  लेकिन आमतौर जैसा होता है कार्यक्रम तय समय पर नहीं हुआ और समय अवधि घंटे से दो घंटे और तीन घंटे के समय को पार कर गया. मजेदार बात ये रही कि यह एक ऐसा कार्यक्रम था जिसे देखकर लगा कि जैसे अतिथियों के स्वागत के लिए हो.  हुआ यूँ कि स्वागत कार्यक्रम सवा दस से साढ़े दस बजे तक चलना था. लेकिन स्वागत की पहली शुरुआत साढ़े ग्यारह बजे हुई. सबसे पहले विभिन्न राज्यों से आए प्रतिनिधियों का स्वागत किया गया, फिर सांसद और अन्य अतिथियों का स्वागत हुआ. स्वागत का ये सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ बल्कि तब तक जारी रहा जब तक मुख्य अतिथि कार्यक्रम में नहीं आई गईं. पहले दौर में स्वागत राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष प्रभा दुबे ने किया फिर स्वागत भाषण के बाद आयोग के सचिव ने किया. इस तरह बारी-बारी स्वागत ही जारी रहा.
अब सुबह के कार्यक्रम से दोपहर का वक्त हो चला था. माननीय मंत्री जी देर से ही सही लेकिन आईं जरूर. मंत्री रमशीला साहू दोपहर 12 बजे कार्यक्रम में पहुँची.  और एक बार स्वागत का सिलसिला चल पड़ा. मतलब 8 घंटे तक के कार्यक्रम में तकरीबन 3 घंटे का वक्त पंजीयन और स्वागत में निकल चुका. इसी बीच 8 घंटे के कार्यक्रम में लगभग 3 घंटे का वक्त अतिथियों के भाषण, सांस्कृतिक कार्यक्रम और लंच में चला गया. मसलन 8 घंटे में 6 घंटे का वक्त इसी तरह से बीत गया. अब कार्यशाला में बाल मित्र पर चिंतन और मंथन का समय सिर्फ 2 घंटे का रह गया था.  इसमें भी अंतिम वक्त में सम्मान के साथ आभार का भी कुछ वक्त शामिल था.

अब जरा सोचिए कि आखिर बाल मित्र को कार्यशाला में किस तरह, कितना चिंतन, मंथन और इसे दूसरे राज्यों में शुरू करने पर विचार किया गया होगा. खैर अब इसके बाद जरा पर्दे के पीछे की कहानी को भी जान लीजिए. कार्यक्रम का आयोजक तो राज्य बाल सरंक्षण आयोग था. लेकिन इस कार्यक्रम को आयोजित करने का जिम्मा एक इंवेंट कंपनी आइज इवेंट एंड एडवाटाइजिंग को मिला था.  कार्यक्रम शानदार एसी हॉल पं. दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में हुआ. और इस कार्यक्रम में करीब 8 लाख तक खर्च हुए. खास बात ये भी रही कि कार्यक्रम में महिलाओं को लाने की जिम्मेदारी श्रम विभाग को दी गई थी. कार्यक्रम में आने वाली महिलाओं को क्यों लाया गया है इसकी जानकारी उन्हें नहीं थी.

हालांकि मंत्री रमशीला साहू ने अपने भाषण कई बड़ी बातें कही. उन्होंने कहा कि हम बाल-मित्र की अवधारणा को पूरा करेंगे. कैसे करेंगे और किस रूप में होने की संभावना उसका स्वरूप आज के इस कार्यशाला से अंदाजा लगाया जा सकता. खैर सरकारी विभाग में संगोष्ठी और कार्यशालाएं इसी तरह से आयोजित होती है इसमें आश्चर्य करने जैसा कुछ नहीं.