रायपुर। गजब हो रहा है भैय्या, बड़ा गजब हो रहा है। राजधानी में दो दिनों में आगजनी की दो बड़ी घटनाएं हुई। 9 अप्रेल को छत्तीसगढ़ के मॉडल स्टेशन के बाहर पार्किंग में ऐसी आग लगी की घंटे भर में ढाई सौ करीब बाइक जलकर खाक हो गई। वहीं दूसरी आग 10 अप्रेल की सुबह-सुबह लगी। घटना सोमवार की सुबह तकरीबन 4 बजे के आस-पास की थी। बाजार वाला इलाके में रहमानिया चौक के पास तुलसी लॉज में आग लगने की घटना। घटना इतनी भयानाक थी कि 4 जिंदगियां आग बुझाने से पहले ही बुझ गई। इन दोनों ही घटनाओं ने सब के मन में एक सवाल खड़ा कर दिया है कि रायपुर में इतनी आग क्यों  तो वहीं लोग ये भी कह रहे हैं कि रायपुर में बड़ी आग है। लल्लूराम के दिमाग में भी यही सवाल आया है। लल्लूराम दोनों घटनाओं को समझने की कोशिश की। इस कोशिश में एक बात पकड़ में आई। दरअसल राजधानी रायपुर का तापमान लगातर बढ़ते जा रहा है। रायपुर शहर पहले से अधिक गर्म हो रहा है। गर्म होते जा रहा हैं यहां के व्यवस्थापकों का मिजाज। फिर चाहे ठेकेदारों का हो, प्रशासन का हो, शासन का हो। हर कहीं गर्मी दिखती है। जनता बेचारी इस गर्मी से बेहाल है। पार्किंग वाला इतना गर्मी में रहते आया है कि उसकी ठेकेदारी के आगे तमाम शिकायत लाचार से रहे हैं। ठेकेदारी की मनमानी के आगे रेल्वे प्रशासन की एक ना चली है। पार्किंग शुल्क में कई गुना अधिक दाम की गर्मी, बिना शेड, बिना सुरक्षा मनामनी पूर्ण व्यवस्था की गर्मी। अगर इन अव्यवस्थाओं के खिलाफ जनता शिकायत करें तो उन्हें ठेकेदार के गुर्गें के ओर से धमकाने की गर्मी। मतलब पार्किंग के भीतर गर्मी की कोई कमी रहीं और मनमानी पूर्ण तरीके सारा सिस्टम काम चलते रहा। आखिरकार भीषण गर्मी में विस्फोट हुआ और आग की लपटे एक बाइक से ढाई सौ बाइक को अपने चपेट में ले ली। पार्किंग में लगी आग अभी ठीक से बुझी भी नहीं थी कि तुलसी लॉज में भीषण आग ने रायपुर को दहला के रख दिया। आग बुझाते-बुझाते इस बीच 4 जिंदगी ही बुझ गई। मौत इतनी भयानक आई की लाश को पहचान भी मुश्किल हो गया। 4 लोग जिंदा ही जल गए। स्मार्ट रायपुर और मोर रायपुर, डिजिटल रायपुर के खूब नारे इस शहर में लग रहे हैं। लेकिन दहकते..धधकते रायपुर की आग को बुझाने की कोशिश हुई ही नहीं। रेल्वे प्रशासन ने पार्किंग की अव्यवस्था को कभी समझा नहीं, शिकायतों पर सुनवाई की नहीं नतीजा एक भीषण आगजनी के रूप में आई। जिला प्रशासन, निगम प्रशासन शहर को व्यवस्थित करने की मुहिम में भीड़-भाड़ वाले इलाके की सुव्यवस्थित, सुरक्षित करने की दिशा ठीक नहीं की लिहाजा आग लगी तो बुझाने में ही घंटों लग गया। ना जाने शहर में ऐसी असुरक्षा से भरे कितने इलाके होंगे ? ना जाने कितनी अव्यवस्था शहर में ऐसी फैली होगी ? सवाल ये है कि सिस्टम के भीतर की आग कब बुझेगी ? जो आग करप्शन के जरिए लगी हुई है, फैली हुई है। जिससे जनता जल रही है, मर रही है।