स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और पूर्व सांसद स्वर्गीय केयूर भूषण को संसद में श्रद्धांजलि नहीं दिया जाना क्या एक गंभीर प्रशासनिक चूक है? दरअसल यह सवाल इसलिए खड़े हो रहा है क्योंकि देहावसान के बाद प्रक्रिया के तहत स्व.केयूर भूषण को संसद के मानसूत्र सत्र के पहले दिन श्रद्धांजलि दी जानी थी, लेकिन संसद में जब दिवंगत नेताओं के नाम का उल्लेख किया गया, तब उन नामों में स्व.केयूर भूषण नहीं थे. हालांकि दुर्ग सांसद ताम्रध्वज साहू ने दिवंगत सदस्यों के निधन का उल्लेख किये जाने के दौरान स्व. केयूर भूषण का नाम नहीं लिए जाने पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई, जिसे लेकर आसंदी ने उन्हें कहा कि निधन की सूचना उन्हें प्रक्रिया के तहत नहीं मिली है. इसकी लिखित सूचना सचिवालय में नहीं आई. इसे लेकर ताम्रध्वज साहू ने राज्य सरकार पर सवाल खड़े किया है.

ताम्रध्वज साहू का आरोप लगाते हुए कहा है कि यह एक गंभीर प्रशासनिक चूक है. स्व. केयूर भूषण के निधन के तत्काल बाद जिला प्रशासन की ओर से इसकी सूचना सामान्य प्रशासन विभाग को दी जानी चाहिए थी, लेकिन प्रशासन की उदासनीता की वजह से स्व. केयूर भूषण को संसद में श्रद्धांजलि नहीं दी जा सकी. ताम्रध्वज साहू ने इस मामले में संसद में लिखित सूचना दी है. साहू ने लल्लूराम डाट काम से हुई बातचीत में कहा कि- मेरी ओर से लिखित सूचना दिए जाने के बाद संसद सचिवालय ने कहा है कि इस मामले में राज्य सरकार को पत्र लिखकर जानकारी ली जाएगी. राज्य सरकार की ओर से जवाब आने के बाद नियमतः दिवगंत पूर्व सदस्य को ससम्मान श्रद्धांजलि दी जाएगी.

राज्य सरकार का सर्कुलर कूड़ेदान में

हाल ही में पूर्व केंद्रीय मंत्री पुरूषोत्तम कौशिक के निधन के बाद भी इसकी सूचना सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से लोकसभा को नहीं भेजी गई थी, इसे लेकर सरकार ने ऐतराज जताया था. सामान्य प्रशासन विभाग ने प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों को पत्र भेजकर निर्देशित किया था कि संसद सदस्यों या पूर्व सदस्यों के निधन की सूचना प्राथमिकता से जीएडी को भेजे, बावजूद इसके एक बार फिर स्व. केयूर भूषण के निधन पर जिला प्रशासन ने लापरवाही बरती है. इससे पहले भी दुर्ग लोकसभा से संसद में प्रतिनिधित्व करते रहे पूर्व सांसद ताराचंद साहू के निधन के बाद भी यही स्थिति देखने को मिली थी. तब भी ताराचंद साहू के निधन की सूचना संसद को देर से भेजी गई थी.

क्या है प्रक्रिया ?

संसद सदस्य या पूर्व सदस्यों के निधन के बाद प्रक्रिया के तहत इसकी सूचना जिला कलेक्टर को नोटशीट भेजकर सामान्य प्रशासन विभाग को देनी होती है. सामान्य प्रशासन विभाग इस आधार पर लोकसभा को सूचित करता है. लोकसभा में सूचना भेजे जाने के बाद संसद सत्र में निधन का उल्लेख कर श्रद्धांजलि दी जाती है.