लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भाजपा के सत्ता में आने के बाद सरकारी बिल्डिंगों औऱ सरकारी चीजों का भगवाकरण लगातार जारी है. कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री कार्यालय को भगवा रंग से रंग दिया गया. कभी मुख्यमंत्री की कुर्सी के कवर को भगवा कपड़े से ढका जाता है तो कभी मुख्यमंत्री को भगवा रंग का रुमाल जिलों के दौरों पर डीएम उपलब्ध कराते हैं.
ताजा वाकया उत्तर प्रदेश हज हाउस के भगवा रंग से रंगे जाने का सामने आया. इस मामले पर प्रदेश के विपक्षी दलों के साथ साथ मुस्लिम धर्मगुरुओं और उलेमाओं ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. सरकार को शायद ये उम्मीद नहीं थी कि इस मामले का इस कदर विरोध होगा. सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक सरकारी मशीनरी के इस फैसले का विरोध शुरु हो गया. मामले को बढ़ता देख अल्पसंख्यक कल्याण और वक्फ मंत्री मोहसिन रजा को इस मामले पर सफाई देनी पड़ी.
अब सरकार ने मामले पर होने वाली फजीहत से बचने के लिए हज हाउस का कलर केसरिया से बदलकर हल्का पीला कर दिया है. इतना ही नहीं हज हाउस के जिम्मेदार अधिकारियों ने मामले पर लीपापोती भी शुरु कर दी है. बकायदा इस बारे में प्रेस विज्ञप्ति जारी कर हज हाउस के सचिव आर.पी.सिंह ने कहा है कि दीवारों का रंग गाढ़ा हो जाने के कारण ऐसा हो गया था. जिसे कि दुरुस्त कराकर फिर से सही रंग से बिल्डिंग को रंगवा दिया गया है. इतना ही नहीं जिम्मेदार अधिकारियों ने इस मामले में बलि का बकरा ठेकेदार को बना दिया है. अधिकारियों ने अपना पल्ला झाड़ते हुए इस पूरे मामले के लिए ठेकेदार को दोषी ठहराते हुए उसके खिलाफ कार्रवाई की बात कही है.
सरकार को भी ये उम्मीद नहीं थी कि इमारतों का भगवाकरण उसके खिलाफ इस कदर माहौल बना देगा कि उसको जवाब देना मुश्किल हो जाएगा. यही वजह रही कि मामले को बढ़ता देख सरकार ने आनन फानन में अपनी सफाई जारी कर दी औऱ एक मामूली ठेकेदार को बलि का बकरा बना दिया.