रायपुर। राज्य सरकार ने पदोन्नति में आरक्षण पर फिलहाल रोक लगा दी है. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई का असर है कि जब तक इसमें कोर्ट से आदेश नहीं जाते सरकारी रोक जारी रहेगी.  हाईकोर्ट ने 4 फरवरी को प्रदेश सरकार को निर्देशित किया था कि आरक्षण का कोटा तय कर पूरी जानकारी दे. लिहाजा सरकार ने आदेश जारी कर सभी विभागों में पदोन्नति पर रोक लगा दी. मतलब फिलहाल अब कोर्ट के अगले आदेश तक प्रदेश में किसी सरकारी कर्मचारी को प्रमोशन नहीं मिलेगा.

गौरतलब है कि कई न्यायालयीन प्रकरणों और जनसंख्या के आधार पर वर्ष -13 में अजा के लिए 32 और अजजा के लिए 12 फीसदी निर्धारित किया गया था। इसी नियम के 5वीं कंडिका में मूल्यांकन व मानक के कम निर्धारण का उल्लेख था जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया. लेकिन सरकार ने सबके इसके बावजूद उच्च अधिकारियों को पदोन्नति दी गई लेकिन कर्मचारियों को नहीं दी जाती रही. अब इस ताजा फैसले के बाद जून अंत तक पूरी प्रक्रिया ही रुक जाएगी. सरकार के इस रोक के बाद असर ये होगा कि कई कर्मचारी बिना प्रमोशन के रिटायर होंगे और प्रमोशन के लाभ से वंचित भी. कर्मचारी संघों ने इसे लेकर नाराजगी जाहिर करते हुए सरकार से नियमों में तत्काल सुधार की मांग की है.

2013 में हुआ था संशोधन : पिछली सरकार ने 2013 में राज्य में जातिगत आरक्षण कोटा पुनर्निर्धारित किया था। इसके तहत 10 साल पहले 2003 के राज्य लोक सेवा नियमों में संशोधन कर अजजा के लिए 32% और अजा के लिए 12% आरक्षण रखा गया। इस नई व्यवस्था के विरोध में करीब 27 याचिकाएं दाखिल हुईं। इन पर हाईकोर्ट ने 4 फरवरी 2019 को फैसला देते हुए सरकार से कहा था कि कोटा फिर से तय किया जाए।

दो साल से अटके हुए हैं प्रमोशन : कोर्ट में दायर याचिकाओं के चलते राज्य कैडर में दो साल से प्रमोशन रुके हुए हैं। राज्य कैडर के सभी पदों में करीब 55 हजार से अधिक लोगों के प्रमोशन लंबित हैं। इनमें सर्वाधिक लिपिक और शिक्षक संवर्ग के करीब 20 हजार से ज्यादा लोग हैं। वहीं, राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग ने 25 फरवरी को आदेश जारी कर कहा कि हाईकोर्ट ने पदोन्नति नियम-5 निरस्त कर दिया गया है।

2003 में यह था नियम : राज्य कैडर के द्विताय श्रेणी के पदों के लिए अजा के लिए 23 और अजजा के लिए 15 प्रतिशत। तृतीय, चतुर्थ श्रेणी (जिसमें लिपिक, शिक्षक और चपरासी) के लिए अजा के 16 और अजजा के लिए 23 फीसदी कोटा तय था।