रायपुर। प्लास्टिक कैरी बैग पर लगे प्रतिबन्ध के बावजूद इसके उल्लंघन को लेकर राज्य सरकार के लचर व्यवस्था पर हाई कोर्ट ने फटकार लगाई है. कैरी बैग के प्रतिबंध के पालन को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई मुख्य न्यायधीश व न्यायमूर्ति शरद कुमार गुप्ता ने की. कोर्ट ने प्लास्टिक के उपयोग को लेकर लोगों में व्यापक प्रचार-प्रसार करने का निर्देश दिया. राज्य सरकार की ओर से नई अधिसूचना को प्रस्तुत करते हुए कोर्ट को बताया कि प्लास्टिक कैरीबैग को प्रतिबंधित करने के साथ प्रदेश में अल्य आयु पीवीसी से बने विज्ञापन, प्रचार सामग्री के होर्डिंग, फ्लेक्स के अलावा खानपान के लिए प्रयुक्त प्लास्टिक की वस्तु पर पूर्ण रुप से प्रतिबंध लगा दिया है. प्रकरण में अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद होगी.

गौरतलब है कि 1 जनवरी 2015 से प्रदेश में प्लास्टिक कैरी बैग का निर्माण, विक्रय, परिवहन तथा उपयोग को प्रतिबंधित करने के बावजूद इसका उपयोग धड़ल्ले से जारी है. राजधानी के शंकर नगर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता नितिन सिंघवी ने पर्यावरण के संरक्षण को लेकर जनहित याचिका लगाया है. प्रकरण में अलगी सुनवाई 4 सप्ताह बाद होगी. सिंघवी ने कहा कि नगर निगम तथा पर्यावरण संरक्षण मंडल अधिकार नहीं होने के बावजूद मनमानी पेनाल्टी लगा कर दोषियों को छोड़ देते है. अधिसूचना के क्रियानवन की जिम्मेदारी जिला कलेक्टर, एसडीएम और छग पर्यावरण संरक्षण मंडल के अधिकारी को है.

अधिसूचना के तहत दोषी के विरूद्ध सिर्फ कोर्ट में शिकायत दर्ज की जा सकती है. जिसके तहत् 3 से 7 वर्ष की सजा या 1 लाख रुपए की पेनाल्टी अथवा दोनों कोर्ट द्वारा दी जा सकती है. नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के विशेष सचिव ने व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होकर शपथ पत्र प्रस्तुत करके बताया था कि प्रदेशभर में 13 दिनों में 905 व्यक्तियों के विरूद्ध कार्यवाही की है. 27 सितम्बर 2017 को छ.ग. शासन आवास एवं पर्यावरण ने नई अधिसूचना जारी कर पूरे प्रदेश में प्लास्टिक कैरी बैग, अल्प आयु पी.वी.सी. से बने फ्लेक्स, होर्डिंग तथा खाने-पीने में उपयोग किये जाने वाले प्लास्टिक के समानों को प्रतिबंधित कर दिया.