बिलासपुर. बेटे द्वारा लगाई गई एक याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि सौतेली मां भी बेटे से गुजारा भत्ता लेने की हकदार है. हाईकोर्ट ने 76 वर्ष आयु की सौतेली मां को गुजारा भत्ता के रूप में हर माह 10 हजार रुपए देने के आदेश को सही ठहराते हुए याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर दो हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है.

जस्टिस संजय के अग्रवाल की बेंच ने महाभारत, रामायण, तैत्तिरीय उपनिषद की श्रुति का उल्लेख करते हुए कहा है कि माता का स्थान देवता के समान है. भारतीय समाज के मापदंडों व मूल्यों में बुजुर्गों की देखभाल पर विशेष जोर दिया गया है. मां का घर में स्थान देवी लक्ष्मी की तरह है.

बता दें कि 76 वर्ष आयु की विधवा ने अपने सौतेले बेटे पर देखभाल नहीं करने का आरोप लगाते हुए माता- पिता और वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल और कल्याण अधिनियम 2007 की धारा 4 व 5 के तहत गुजारा भत्ता की मांग करते हुए ट्रिब्यूनल में मामला प्रस्तुत किया था. ट्रिब्यूनल ने बेटे के शासकीय स्कूल में शिक्षक होने और आर्थिक स्थिति के आधार पर गुजारा भत्ता के रूप में हर माह 10 हजार रुपए देने के आदेश दिए थे. लेकिन बेटा इस फैसले को नहीं माना.

बेटे उत्तरा कुमार ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, इसमें ट्रिब्यूनल के आदेश का विरोध करते हुए कहा गया था कि हर माह 10 हजार रुपए देने का आदेश गलत है. हर माह 10 हजार रुपए देने की उसकी स्थिति नहीं है, साथ ही वह अपनी मां को अपने साथ रखने और देखभाल करने के लिए तैयार है, लेकिन मां ऐसा नहीं चाहती.

वहीं मां की तरफ से पक्ष रखते हुए ट्रिब्यूनल के आदेश को सही बताते हुए याचिका खारिज करने की मांग की गई थी. हाईकोर्ट ने ट्रिब्यूनल के दस्तावेजों के आधार पर हर माह 10 हजार रुपए गुजारा भत्ता तय किया है, इसमें भोजन, आवास, कपड़ों, दवाइयां सहित अन्य खर्चों का ध्यान रखा गया है. याचिका खारिज करने के साथ ही हाईकोर्ट ने याचिका प्रस्तुत करने वाले बेटे पर दो हजार रुपए जुर्माना लगाया है. यह राशि भी मां को देने के निर्देश दिए गए हैं.