रायपुर। छत्तीसगढ़ में बिजली करेंट से हाथियों की मौत के मामले छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है. मामले में कोर्ट ने विद्युत कंपनी को गंभीरता से काम करने के साथ ही उनसे रिपोर्ट मांगी है. रायपुर निवासी नितिन सिंघवी की जनहित याचिका मामले में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया.

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश अजय कुमार त्रिपाठी और न्यायमूर्ति पी.पी.साहू की युगलपीठ के समक्ष याचिकाकर्ता ने नितिन संघवी ने हाथियों की मौत से संबंधित दस्तावेज सौंपे. दस्तावेज पेश करते हुए उन्होंने कोर्ट को बताया कि कोरबा वनमंडल के अन्तर्गत आने वाली हाथी प्रभावित कुदमुरा तथा परसखेत परिक्षेत्र में विद्युत लाइन के तार नीचे होने, लटकने, कनेक्शन कम ऊंचाई पर होने के कारण वन परिक्षेत्र अधिकारियों ने निर्देशांक (अक्षांतर-देशांतर) तथा ग्रामीणों के नाम सहित जानकारी विद्युत वितरण कंपनी को मुहैया करवाई. जहां बिजली के तार नीचे हैं और जिससे हाथियों के टकराकर मरने की संभावना बनी रहती है. कोरबा उप वनमंडलाधिकारी ने भी कई पत्र लूज तार, कम ऊंचाई पर लगे विद्युत तारों, और अवैध कनेक्शन हटाने के लिये लिखे हैं विद्युत कंपनी को लिखे हैं.

मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आदेश दिया कि अब यह समय की मांग है कि विद्युत कंपनी गंभीरता से कार्य करें. कोर्ट ने कोरबा क्षेत्र के जिन स्थानों में बिजली वायर नीचे आने की जानकारी वन विभाग ने दी है उन पर क्या कार्यवाही की गई पूछा है और अगर विद्युत लाइनें ठीक नहीं की गई है तो ठीक कर 4 जनवरी 2019 तक रिपार्ट मांगी है.

रायपुर निवासी नितिन सिंघवी द्वारा दायर जनहित याचिका (05/2018) में बताया गया है कि छत्तीसगढ़ में 2005 में मार्च 2017 तक 103 हाथियों की मौतें हुई जिसमें से 34 मौंते बिजली करेंट से हुई है. याचिका में मांग की गई है कि हाथियों को बिजली करेंट से बचाने के लिये हाथी रहवासी वनों में विद्युत लाइनों को हाथी क्षेत्रों के लिये निर्धारित मानक दूरी तक उंचा करने हेतु निर्देशित किया जावें ताकि हाथियों द्वारा सूड उठाने पर भी विद्युत लाईन से न टकरा पाये ना ही ग्रामीणों द्वारा तार बिछाकर विद्युत प्रवाह करने से हाथियों कि मौतें हो सके. गौरतलब है कि वन विभाग कई वर्षों से हाथी प्रभावित क्षेत्रों में से गुजर रही लाइनों को उंची करने की मांग विद्युत कंपनी से कर रहा है.