लक्ष्मीकांत बंसोड, डौंडी। बालोद जिले के आदिवासी बाहुल्य ब्लॉक डौंडी के कांड़े ग्राम पंचायत में 14वें वित्त की राशि के बंदरबांट करने का मामला सामने आया है. फर्जी बिल लगाकर सार्वजनिक शौचालय निर्माण के नाम पर 14वें वित्त की राशि गबन करने का आरोप लगा है. दरअसल, कांड़े पंचायत के तत्कालीन जनप्रतिनिधियों द्वारा जनपद पंचायत डौंडी से सार्वजनिक शौचालय निर्माण के लिए 1 लाख 20 हजार रुपए राशि की मांग की गई थी. जिस पर जनपद की ओर से सहमति मिली और पंचायत को राशि दे दी गई. जनपद से मिली राशि का आधा फ़ीसदी हिस्सा 60 हजार रुपए 14 वें वित्त की राशि से पूर्व कार्यकाल में पंचायत जनप्रतिनिधियों ने जनपद को वापस लौटा दिए थे, लेकिन शेष राशि 60 हजार रुपए अब तक वापस नहीं की गई है.

अब नए सरपंच के कार्यकाल आने के बाद उन्हें 60 हजार शेष राशि भुगतान करने का नोटिस जनपद पंचायत डौंडी की ओर से मिला है, जिस पर सरपंच ने अपना पक्ष रखते हुए जवाब दे दिया है कि पंचायत में तो इसी तरह से सार्वजनिक शौचालय निर्माण हुआ ही नहीं है तो सार्वजनिक शौचालय के नाम पर राशि का भुगतान कहां से होगा.

वहीं वर्तमान सचिव द्वारा फर्जी बिल लगाकर पैसे आहरण करने का मामला भी सामने आ रहा है. पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब एक व्यक्ति ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी.

सीईओ ने जांच अधिकारी बदला

मामले की जानकारी मिलते ही जनपद पंचायत डौंडी के सीईओ ने 28 सितंबर 2020 को 14वें वित्त मूलभूत पंचायत निधि अंतर्गत प्रमाणकों की जांच के आदेश जारी किए थे, जिसके जांच अधिकारी के रूप में उसी ऑडिटर को नियुक्त किया गया था, जिन्होंने उस पंचायत में 14वें वित्त व तमाम बिलों का ऑडिट किया था. अब बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर ऑडिटर को ही जांच अधिकारी बनाया जाए तो इतने बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा कैसे हो पाएगा. मीडिया को इसकी जानकारी होने के बाद आनन-फानन में जनपद सीईओ ने जांच अधिकारी को बदल दिया लेकिन 28 सितंबर से जांच आदेश निकलने के बाद अब तक जांच पूर्ण नहीं होना संदेह के दायरे में आता है.

पूरे मामले में वर्तमान सरपंच चित्रलेखा पायला ने कहा कि उनके गांव में सार्वजनिक शौचालय बना ही नहीं है. जिसकी जानकारी उन्हें पहले नहीं थी, जब जनपद पंचायत डौंडी से उनके पास 60 हजार बकाया राशि भुगतान करने का आदेश मिला. उन्होंने जनपद पंचायत को 60 हजार की राशि देने से इनकार कर दिया.

वही पंचायत सचिव निकेश्वरी साहू ने कहा कि शौचालय निर्माण का मामला उनके कार्यकाल का नहीं है तो बिल के मामले में वह अपनी गलती स्वीकारी. नए-नए होने के कारण जानकारी नहीं होने से बिल लगाने की बात कही.

जनपद पंचायत सीईओ भुवनेश्वर सिंगराज ने कहा कि मामले में जांच के लिए आदेशित कर दिया गया है. पूर्व में ऑडिटर को ही जांच अधिकारी बनाया गया था, लेकिन अब जांच अधिकारी भी बदल दिया गया है. मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.