रायपुर- पत्रकारों का आंदोलन हर दिन विकराल रूप लेता जा रहा है. इस धरना-प्रदर्शन में पत्रकारों के साथ लगातार सामाजिक संगठन, कर्मचारी संघ, शिक्षक संघ, लेखक, कलाकर जुड़ते जा रहे हैं. लिहाजा आंदोलन जन आंदोलन में तब्दील हो चुका है. पांच दिनों तक आंदोलन जारी रहने के बाद भी मारपीट करने वालो को भाजपा द्वारा संरक्षण देने की वजह से पत्रकारों ने इस धरने को अब बड़ा रूप देने की तैयारी की है. 8 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के छत्तीसगढ़ दौरे को देखते हुए, पत्रकारों ने बड़ी रणनीति तैयार की है. इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और बड़े नेताओं को पत्र लिखकर पत्रकारों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार की जानकारी दी गई.

पत्रकारों ने बुधवार को अनूठा विरोध प्रदर्शन किया, भाजपा के धरना प्रदर्शन की रिपोर्टिंग करने पत्रकार एम्बुलेंस और हेलमेट के साथ पहुंचे. ऐसा विरोध प्रदर्शन पत्रकारों द्वारा पहली बार किया जा रहा, जिसे नेशनल मीडिया की भी जबर्दस्त सुर्खियां मिल रही हैं.

 

पत्रकारों के इस महाधरने को समर्थन देने वरिष्ठ पत्रकार हिमांशु द्विवेदी भी कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे. उन्होंने कहा कि कोई पत्रकार गुलाम नहीं की जो भाजपा चाहे वही खबरें बनाये. पत्रकार का काम ही है कि छुपी हुई खबरों और जानकारी लोगों तक पहुंचाई. पत्रकार सुमन पांडे ने सहासी पत्रकारिता की. आप सभी को बधाई कि बीजापुर से बलरामपुर तक पत्रकार इसका विरोध कर रहे हैं. उन्होने कहा कि मैं तो सच कहूंगा, जिनसे अभी आप दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, उनकी हैसियत बची ही नहीं की वो फैसला ले पाएं, मांग दिल्ली तक पहुचाइए. मैं प्रेस क्लब के हर फैसले के साथ हूं.

शिक्षाकर्मी आंदोलन से जुड़े नेता वीरेंद्र दुबे और केदार जैन भी अपना समर्थन देने पहुंचे. उन्होंने कहा कि पत्रकारों के साथ जो हुआ 1.80 लाख शिक्षकों का परिवार पत्रकारों के साथ है. बिलाईगढ़ विधायक चंद्रदेव राय, बसपा प्रदेशाध्यक्ष हेमंत पोयाम, आप पार्टी से संकेत ठाकुर, रायपुर पश्चिम के विधायक विकास अग्रवाल ने अपना समर्थन धरना स्थल पर पहुंच के दिया. इधर, हस्ताक्षर अभियान लगातार दूसरे दिन भी जारी रहा. जिसमें बढ़ चढ़कर लोगों ने हिस्सा लिया.

भाजपा कार्यालय में पत्रकारों के साथ हुई मारपीट के विरोध में, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संघ, संकेत फ़िल्म सोसाइटी, इंडियन वर्किंग जर्नलिस्ट संघ, कान्यकुब्ज समाज, नागरिक अधिकार समिति समेत दर्जनों संगठन हर दिन जुड़ रहे हैं. पत्रकारों का ये आंदोलन जन आंदोलन बन चुका है. आगामी लोकसभा चुनावों के चलते ये जनांदोलन राजनीतिक दलों के लिए सरदर्द बन सकता है.