पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद. अमलीपदर के कुकुर जोर नाले में तीन किमी दूरी में 1 करोड़ खर्च कर बनाये गये 10 चेक डैम से 10 किसान को भी सिंचाई सुविधा नहीं मिल सका है. इस साल फिर 17 लाख खर्च कर एक और बनाने की तैयारी चल रही है. पँचायत प्रतिनिधि बोले रहे हैं कि फिजूलखर्ची कर भूमि संरक्षण विभाग ने नरवा का स्वरूप बिगाड़ दिया है, अब पँचायत के लिये योजना बनाने की जगह नही बची.
सरकार के नरवा, गरुवा, घुरुवा, बारी के उत्थान में आज जब पँचायत की भूमिका अहम कर दिया गया है, लेकिन अमलीपदर पँचायत से होकर गुजरने वाले कुकुर जोर (नरवा) में काम करने के लिये जगह ही नहीं बची है. इलाके के जनपद सदस्य निर्भय ठाकुर ने बताया कि पिछले पांच साल में कुकुर जोर नाले में महज 3 किमी की दूरी पर 10 चेक डेम बनाया गया है, जो किसी के काम का नही है. नाले में पानी का बहाव केवल बारिश के दिनों में रहता है. खेतों में भरा पानी मुड़ागांव से होकर निकलता है, जो नाले में जाता है. 3 किमी की दूरी में लगभग एक करोड़ रुपए खर्च कर 10 चेक डेम बनाया गया है, जिसमें एक बिरिघाट पँचायत ने एक्जल ग्रहण मिशन से तो 8 चेक डेम भूमि सरंक्षण विभाग ने बनाया है.
अधिकारी जेब भरने के लिए हर साल बनवाते हैं चेक डेम
बताया गया कि एक चेक डेम में कम से कम एक किमी दूरी तक पानी जमा रहता है, लेकिन यहां तो हर 200 मीटर में एक चेकडैम बनाया गया है, जिसमें जनवरी में भी पानी नहीं रुकता. ठाकुर का आरोप है कि इसमें सिंचाई सुविधा को नहीं बल्कि अपनी जेबें भरने हर साल दो-तीन चेक डेम विभाग बनवाती है. विभाग के चेकडैम में पानी रोकने वाला तक नहीं लगाया जाता. स्ट्रक्चर खड़ा कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लिया जाता है. भूमि संरक्षण विभाग के एसडीओ ने कहा कि पँचायत के मांग पर हम काम करवाते हैं, देख रेख भी उन्हीं को करना होता है, यहां तक पानी रोकने वाल भी उन्हीं को लगाना होता है. मांग होती रहेगी हम बनाते रहेंगे.
सत्यापन मूल्यांकन के लिए तकनीकी अधिकारी नहीं
भूमि संरक्षण विभाग हर साल लाखों रुपए का निर्माण कार्य कराती है. निर्भय ठाकुर ने बताया कि इनके विभाग का एक सर्वेयर ही सब कुछ करता है, इसमें स्थल चयन से लेकर निर्माण कार्य के मूल्यांकन व सत्यापन भी वही करते हैं. सिविल इंजीनियर का कोई भी जानकार विभाग में नहीं है, फिर भी लाखों के निर्माण कार्य गैर तकनीकी अधिकारी के देख-रेख में होता है. कुंडेरापानी का चेकडैम बनने के एक माह बाद टूट गया, उस समय से लगातार विरोध दर्ज कराया जा रहा है, पर कोई ध्यान नहीं देता. पँचायत प्रतिनिधि तब अचंभित रह गए जब भूमि संरक्षण विभाग के चेकडैम के बराबर बिरीघाट पँचायत ने महज 3 लाख रुपए में चेकडैम तैयार कर लिया, जबकि विभाग इस कार्य पर 10 लाख रुपए से ज्यादा का खर्च दिखाती है.
पँचायत से बनवाए गए प्रस्तावों की होनी चाहिए जांच
निर्भय ठाकुर ने कहा कि काम कराने के लिए विभाग ने पंचायतों के झूठे प्रस्ताव का सहारा लिया है. पँचायत के लोग जानते है कि जिस नाले में काम होना है वहां पानी ही नहीं होता, इससे किसी भी किसान को सिंचाई सुविधा नहीं मिलती. प्रस्ताव केवल सरपँच-सचिव द्वारा दिया जाता है ,जिसका उल्लेख बैठक पंजी या प्रस्ताव पंजी में नहीं होता. इस करतूत से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि चेक डेम से किसका फायदा हो रहा है. यही वजह है कि सारे निर्माण कार्यों की जांच कराने के साथ इन चेक डेम की उपयोगिता का परीक्षण कराने की मांग की गई है.