पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ में धान खरीदी को खत्म हुए 3 महीने से अधिक हो चुके हैं। इसके बाद भी गरियाबंद जिले के 42 केंद्रों में शतप्रतिशत धान का उठाव नहीं हो पाया है। इसके पीछे का कारण है धान की कमी। इस लापरवाही से नाराज होकर कलेक्टर दीपक अग्रवाल ने नोडल को हटाने के लिए सहकारिता पंजीयक को पत्र लिखा है।
केंद्रों में धान की कमी
सरकार ने केंद्रों में खरीदे गए धान का शतप्रतिशत उठाव के निर्देश दिए थे, जिससे शासन द्वारा केंद्रों को 37 प्रतिशत की कमीशन राशि दी जा सके। वहीं इन केंन्द्रों से अब भी 29380 क्विंटल का उठाव होना है, लेकिन केन्द्रों में केवल 18000 क्विंटल धान ही मौजूद है। केंद्रों में धान की कमी के कारण डीओ जारी होने के महीने भर बाद भी मिलरों ने उठाव नही किया है। लाटापारा,घूमरगुड़ा,चिचिया ,बोरसी, भसेरा, परसदा कला, कुंडेलभाठा जैसे केंद्रो में 1,1 हजार क्विंटल उठाव होना बाकी है।इसके अलावा 21 केंद्र ऐसे है जिन्हे 200 क्विंटल से भी ज्यादा का धान उपलब्ध कराना है।
वहीं चिचिया खरीदी केंद्र में रिकार्ड में दर्ज मात्रा से धान काफी कम है,जो मौजूद है उसकी गुणवत्ता खराब होने के कारण मिलर उठाव नही कर रहे।
कलेक्टर ने लिखा पत्र
कलेक्टर दीपक अग्रवाल ने इस मामले में आदेश के बाद भी काम में लापरवाही के चलते नाराज होकर 1 मई को पंजीयक सहकारी संस्थाएं नवा रायपुर को खरीदी नियंत्रण के नोडल अधिकारी प्रहलाद पूरी गोस्वामी को हटाने के लिए पत्र जारी किया है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि नोडल ने धान खरीदी की तैयारी,भौतिक सत्यापन, बारदाना व्यवस्था,भंडारण एवम सुरक्षा व्यवस्था में रुचि नही दिखाई। खरीदी के दौरान केंद्र वार नियंत्रित टोकन जारी करने के अलावा अंतिम निराकरण और प्रवेक्षण के कार्य में लापरवाही बरती गई है।
बता दें, इसके पूर्व कलेक्टर ने इन्ही लापरवाही को गिनाते हुए 9 अप्रैल 2024 को विभागीय सचिव के नाम पत्र लिख, मार्कफेड द्वारा बैंक व्यय के रूप में सहकारिता विभाग को कुल धान खरीदी के अनुपात में दिए जाने वाले 5 प्रतिशत व्यय राशि को रोकने के लिए कहा था।
2 करोड़ कीमती धान, बोरा समेत गायब
लल्लूराम डॉटकॉम ने 28 मार्च को सरकारी रिकार्ड के हवाले से एक खबर में बताया था कि 60 केंद्रो से 2 करोड़ किमति धान बोरा समेत गायब थे। इस खबर के बाद सहकारिता विभाग गायब बोरे को सुखत वजन में बदल दिया। जिला प्रशासन के सख्त रवैए के बाद समितियों ने मिलर से साठ गांठ कर गायब कुछ बोरो को उठाव दिखा कर मैनेज करने की कोशिश की।
इसी बीच शासन ने आदेश जारी कर प्रत्येक केंद्रो को 500 बोरा अतरिक्त जारी करने की छूट दे दिया। वजह बताया गया कि,रख रखाव व ड्रेनेज की खामी के कारण बारिश में बोरे खराब हुए। चूहे भी बारदाने खराब किए होंगे। लेकिन हैरानी की बात है कि, बोरे मैनेज होने के बावजुद आज भी कई केंद्रों में धान से भरे बोरे की कमी हो रही है।
जीरो शोर्टेज करने में लगी हुई है समिति : सहायक पंजीयक
इस मामले में सहकारिता के सहायक पंजीयक उषा ध्रुव ने कहा की धान के बोरे में कमी आई है। जो खराब हो गए, या चूहे काट दिए गए। जीरो शोर्टेज वाले केंद्र 20 थे, वे बढ़ कर अब 48 हो गए। शेष केंद्रों में जीरो शोर्टेज के लिए समिति स्तर पर लगे हुए हैं,भरपाई भी की जा रही है।
वहीं नोडल को हटाने कलेक्टर के पत्र की एक प्रति उन्हें भी वाटस्पैप से मिलने की बात स्वीकार की है। नोडल का बचाव करते हुए कहा की खरीदी व्यवस्था की जिम्मेदारी अकेले बैंक नोडल की नहीं, बल्कि सहकारिता,खाद्य मार्कफेड की भी होती है।
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