रायपुर। उम्मीद पर ही दुनिया टिकी है. जीवन में आशा और निराशा दोनों होते हैं. हर इंसान के भीतर आशा और निराशा के बीच द्वंद चलता रहता है. इस दौरान हमारी सकारात्मक सोच ही होती है, जो हमें उलझनों के बीच आशाओं की नई किरण दिखाती है. हमारी उम्मीद हमें मुश्किल परिस्थितियों से उबार देती है. 100 साल की वृद्धा बुधनी बाई आज हम सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है. अपने आत्म विश्वास से उन्होंने कोरोना को न सिर्फ हराया है, बल्कि 100 साल की उम्र में बीमारी से लड़कर सबको धैर्य के साथ जीने का रास्ता भी बताया है.

कोरिया जिले के विकासखंड मनेन्द्रगढ़ के ग्राम बुंदेली की रहने वाली 100 साल की बुधनी बाई को जब कोरोना हुआ, तो परिजनों से लेकर आसपास में रहने वाले लोगों की चिंताए भी बढ़ गई थी. बुधनी बाई ने कभी इस तरह की बीमारी का नाम ही नहीं सुना था. जांच में पॉजीटिव आने के बाद उसे कोविड अस्पताल में भर्ती किया गया, तो भी उसने तनाव नहीं लिया. अस्पताल में बुधनी बाई को नियमित दवाई और भोजन दिया गया. वे डॉक्टरों की निगरानी में रहीं. कुछ दिन बाद बुखार उतरने और लक्षण खत्म होने के बाद बुधनी बाई को अच्छा लगने लगा, तो अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मियों सहित परिजनों ने भी खुशी जताई.

आखिरकार कोरोना को मात देने के बाद बैकुण्ठपुर स्थित कोविड हॉस्पिटल से उन्हें डिस्चार्ज किया गया. बुधनी बाई अब पूरी तरह स्वस्थ होकर अपने घर को लौट आई है. उनके सुरक्षित घर लौटने की घटना परिजनों से लेकर आसपास के रहने वालों के लिए भी सुकून और खुशियां देने वाली है. बुधनी बाई उन सभी के लिए भी अब प्रेरणा की स्रोत हैं, जो कोविड ही नहीं अन्य बीमारी से भी जूझ रहे हैं और अधिक उम्र होने की बात मन में सोचकर जीवन के प्रति एक नई धारणा बना लेते हैं. उम्र अधिक होने की बात सोचकर अपने शरीर को भी लाचार समझ लेते हैं.

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वृद्धा बुधनी बाई 100 साल की हुई तो क्या हुआ ? जब उन्हें अस्पताल लाया गया तो ऑक्सीजन लेबल 95 से कम था. उन्हें बुखार था. कोरोना के अन्य लक्षण भी थे. अस्पताल में उन्होंने बिल्कुल भी तनाव नहीं लिया और कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए दवाइयां ली. यहां डॉक्टरों के परामर्श और नर्सिंग स्टाफ के नियमित संपर्क ने उनका हौसला बढ़ाया. डॉक्टरों, स्टाफ नर्स व अन्य कर्मियों की मेहनत से बुधनी बाई की सेहत सुधरती गई और महज 6 दिनों में ही वह पूरी तरह से स्वस्थ हो गई. कोविड अस्पताल में 100 साल की बुधनी बाई को स्वस्थ पाकर मेडिकल स्टाफ भी बहुत खुश था.

उनके डिस्चार्ज के समय अस्पताल की पूरी टीम वहां मौजूद रही और उनके हौसले को सलाम किया. कलेक्टर ने बुधनी बाई की जिजीविषा और मेडिकल टीम की मेहनत को सराहा. इसी तरह बेहतर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया. स्वस्थ होकर घर लौटी बुधनी बाई ने सभी डॉक्टरों, स्टाफ नर्स व अन्य कर्मियों को देखभाल और समुचित इलाज के लिए आर्शीवाद देते हुए धन्यवाद भी दिया.

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