Karnataka Indira Canteen: कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु (Bengaluru) में गरीबों को सस्ता भोजन उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई इंदिरा कैंटीन आर्थिक संकट से गुजर रही है। बेंगलुरु नगर निगम (Bengaluru Municipal Corporation) द्वारा ठेकेदारों को बिलों का भुगतान न करने के कारण बेंगलुरु में कम से कम 11 इंदिरा कैंटीनों ने भोजन परोसना बंद कर दिया है। बुधवार रात से कैंटीनों ने खाना परोसना बंद कर दिया है। कैंटीनों में भोजन की आपूर्ति के लिए एक साल के लिए अनुबंधित कंपनी शेफ टॉक ने दावा किया कि ब्रुहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) बिलों में लगभग 65 करोड़ रुपये का भुगतान करने में विफल रही है। 

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कैंटीनों में भोजन की आपूर्ति करने वाले फूड कॉन्ट्रैक्टर शेफ टॉक ने दावा किया कि ब्रुहत बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) से उनका एक साल का अनुबंध है। उन्होंने बताया कि निगम करीब 65 करोड़ रुपये बिल का भुगतान करने में विफल रही है, जबकि कई बार अनुरोधों के बावजूद भुगतान नहीं किया है।उन्होंने बताया कि बकाया भुगतान न होने के कारण भोजन सेवाएं ठप हो गई है। BBMP आयुक्त तुषार गिरिनाथ ने दावों को खारिज कर दिया है।

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7 साल पहले शुरू की गई थी कैंटीन

सिद्धारमैया के नेतृत्व में बनी पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने 7 साल पहले स्वतंत्रता दिवस पर इंदिरा कैंटीन शुरू की थी। योजना के तहत गरीबों को 10 रुपये में सस्ता और भरपेट भोजन उपलब्ध कराया जाता है। बेंगलुरु हवाई अड्डे पर भी कैंटीन शुरू हुई थी।
कांग्रेस विधायक एसआर श्रीनिवास ने कहा, ‘यदि हम पिछले तीन महीनों की बात करें तो निगम 295 करोड़ के घाटे में है।

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7 साल पहले शुरू की गई थी कैंटीन

सिद्धारमैया के नेतृत्व में बनी पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने 7 साल पहले स्वतंत्रता दिवस पर इंदिरा कैंटीन शुरू की थी। योजना के तहत गरीबों को 10 रुपये में सस्ता और भरपेट भोजन उपलब्ध कराया जाता है। बेंगलुरु हवाई अड्डे पर भी कैंटीन शुरू हुई थी।

3 महीने में 300 करोड़ घाटा
कांग्रेस विधायक एसआर श्रीनिवास ने कहा, ‘यदि हम पिछले तीन महीनों की बात करें तो निगम 295 करोड़ के घाटे में है। हमारे पास लगभग 8000 बसें हैं, सभी बसें 10 से 11 लाख किलोमीटर चल चुकी हैं। लगभग 450 से 500 वोल्वो बसें हैं, वे भी 20 लाख किलोमीटर चल चुकी हैं, इसलिए हमें नई वोल्वो बसें भी खरीदनी होगी। हमने बैठक में नई खरीद के बारे में चर्चा की है। इन सभी कारणों को ध्यान में रखते हुए और नई बसें खरीदने, पुरानी बसों के रखरखाव, बहुत सारे खर्च हैं। इसलिए यह अपरिहार्य है कि किराया बढ़ाया जाए। हमें हर चीज का ध्यान रखना है।

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बस किराया 20 प्रतिशत तक बढ़ाने की तैयारी
कर्नाटक में सरकारी बसों के किराए को 20 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (KSRTC) ने बताया है कि पिछले तीन महीनों में उन्हें 295 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। KSRTC के अनुसार, इस घाटे का कारण शक्ति योजना है। इस योजना के तहत राज्य में महिलाओं को फ्री बस सुविधा दी जाती है। 

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