वीरेन्द्र गहवई, बिलासपुर। पश्चिम बंगाल के निवासी महबूब शेख और 11 अन्य लोगों ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका लगाई है, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 128 के तहत की गई कार्रवाई को रद्द करने की मांग की है. याचिका पर हाईकोर्ट चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डबल बेंच ने राज्य शासन से दो सप्ताह में जवाब मांगा है, और उसके पश्चात एक सप्ताह में याचिकाकर्ता की ओर से प्रति उत्तर देने के निर्देश हैं.

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याचिकाकर्ताओं ने पुलिस हिरासत में उनके साथ की गई मारपीट दुर्व्यवहार आदि के बदले में एक लाख रुपए प्रति व्यक्ति मुआवजा देने की भी मांग की गई है, साथ ही यह मांग की गई है कि छत्तीसगढ़ राज्य में अगर वह रोजगार के लिए मजदूर के रूप में आते हैं, तो उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाए. इस याचिका पर राज्य शासन और याचिकाकर्ताओं से प्रति उत्तर मिलने के बाद हाईकोर्ट में आगे सुनवाई की होगी.

बता दें कि 29 जून को पश्चिम बंगाल के कृष्णा नगर और मुर्शिदाबाद क्षेत्र के 12 श्रमिक ठेकेदार के माध्यम से बस्तर के कोंडागांव में एक स्कूल निर्माण के लिए गए थे, उन्हें 12 जुलाई को साइबर सेल पुलिस थाना कोंडागांव ने स्कूल निर्माण साइट से सुपरवाइजर पाण्डेय के साथ ले गई थी.

आरोप है कि साइबर सेल में इन 12 श्रमिकों के साथ मारपीट और गाली-गलौज किया गया. आधार कार्ड आदि दिखाने के बाद भी लगातार बांग्लादेशी हो करके संबोधित किया गया. शाम 6 बजे इन सभी को कोंडागांव पुलिस कोतवाली ले जाया गया और वहां से 12 और 13 जुलाई की दरमियानी रात जगदलपुर सेंट्रल जेल दाखिल कर दिया गया.

13 जुलाई को उनके रिश्तेदारों ने सांसद महुआ मित्रा से संपर्क किया और पश्चिम बंगाल पुलिस ने इन सभी के भारतीय नागरिक होने की रिपोर्ट प्रस्तुत की. इस आधार पर अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और रजनी सोरेन ने एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका हाइकोर्ट में दायर की. याचिका सुनवाई में आने के पूर्व एसडीएम कोंडागांव के आदेश से 14 जुलाई को उन्हें रिहा कर दिया गया.