शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्यप्रदेश में 12 शासकीय नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता नहीं मिली है। कालेज बंद होने की कगार पर है। भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) ने आरोप लगाया कि मध्यप्रदेश नर्सिंग शिक्षण संस्था मान्यता नियम 2018 की स्पष्ट गाइडलाइन होने के बावजूद प्रदेश के 12 शासकीय नर्सिंग कॉलेज मान्यता से वंचित हैं। इन कॉलेजों में शैक्षणिक ढांचे की भारी कमी, फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र, नियुक्तियों में धांधली और नर्सिंग काउंसिल के मानकों की खुली अनदेखी सामने आई है।

कई कालेजों में प्राचार्य, उप प्राचार्य तक नहीं

एनएसयूआई प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार द्वारा अगस्त में 2025-26 सत्र की मान्यता के लिए किए गए आवेदनों के आधार पर 13 शासकीय नर्सिंग कॉलेजों की शिकायत की थी लेकिन उसके बावजूद भी इन कालेजों द्वारा कमियां पूरी नहीं की गई। अब स्थिति यह है कि मध्यप्रदेश सरकार के 13 में मंत्रियों और भाजपा के कई दिग्गज नेताओं के गृह जिले और अपने निर्वाचन क्षेत्र के शासकीय नर्सिंग कॉलेज बंद होने की कगार पर हैं। इनमें से कई कालेजों में प्राचार्य, उप प्राचार्य तक नहीं और कई में मात्र एक या दो फैकल्टी हैं।

मान्यता से वंचित 12 शासकीय नर्सिंग कॉलेज, कमियां और संबंधित मंत्री/नेता के नाम

  1. शासकीय नर्सिंग कॉलेज रायसेन – प्राचार्य, उप प्राचार्य एवं असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं। शिक्षण कार्य बिना अकादमिक संरचना👉 नरेंद्र शिवाजी पटेल, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा राज्यमंत्री
  2. शासकीय कॉलेज ऑफ नर्सिंग मंदसौर – केवल 5 फैकल्टी कार्यरत। एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, ट्यूटर नहीं।👉 जगदीश देवड़ा, उप मुख्यमंत्री
  3. शासकीय कॉलेज ऑफ नर्सिंग नरसिंहपुर – उप प्राचार्य, एसोसिएट व असिस्टेंट प्रोफेसर का अभाव। प्रहलाद पटेल, पंचायत एवं ग्राम विकास कैबिनेट मंत्री
  4. 👉 उदय प्रताप सिंह, परिवहन एवं स्कूल शिक्षा कैबिनेट मंत्री
  5. शासकीय ऑटोनॉमस आयुर्वेदा कॉलेज जबलपुर – केवल 2 फैकल्टी कार्यरत, प्राचार्य व अन्य पद रिक्त।
  6. 👉 राकेश सिंह, लोक निर्माण विभाग कैबिनेट मंत्री
  7. शासकीय जीएनएम स्कूल राजगढ़ – प्राचार्य, उप प्राचार्य और असिस्टेंट प्रोफेसर का पद रिक्त।
  8. 👉 नारायण सिंह पंवार, मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास राज्यमंत्री
  9. 👉 गोतम टेटवाल, कौशल विकास एवं रोजगार राज्यमंत्री
  10. शासकीय कॉलेज ऑफ नर्सिंग बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज सागर – उप-प्राचार्य व प्रोफेसर/असिस्टेंट प्रोफेसर का अभाव, फिर भी M.Sc नर्सिंग की 35 सीटों के लिए आवेदन।
  11. 👉 गोविंद सिंह राजपूत, खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण कैबिनेट मंत्री
  12. स्कूल ऑफ नर्सिंग खंडवा – प्राचार्य, उप प्राचार्य एवं असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं। शिक्षण कार्य बिना अकादमिक संरचना।
  13. 👉 विजय शाह, जनजातीय कार्य व भोपाल गैस राहत कैबिनेट मंत्री
  14. डिपार्टमेंट ऑफ नर्सिंग, इंदिरा गांधी नेशनल ट्राइबल यूनिवर्सिटी अमरकंटक – 50 सीटों पर केवल 1 फैकल्टी कार्यरत, अकादमिक संरचना शून्य।
  15. 👉 दिलीप जायसवाल, कुटीर एवं ग्रामोद्योग राज्यमंत्री
  16. पंडित खुशीलाल शर्मा शासकीय ऑटोनॉमस आयुर्वेदा कॉलेज भोपाल – प्राचार्य का अभाव, फैकल्टी नियुक्तियों में गड़बड़ी, अनुभव प्रमाण पत्र फर्जी।
  17. 👉 विश्वास सारंग, सहकारिता, खेल एवं युवा कल्याण विभाग कैबिनेट मंत्री
  18. 👉 कृष्णा गौर, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री
  19. शासकीय जीएनएम स्कूल झाबुआ – प्राचार्य, उप प्राचार्य और असिस्टेंट प्रोफेसर पद रिक्त।
  20. 👉 निर्मला भूरिया, महिला एवं बाल विकास कैबिनेट मंत्री
  21. शासकीय जीएनएम स्कूल सीधी – प्राचार्य, उप प्राचार्य और असिस्टेंट प्रोफेसर पद रिक्त।
  22. 👉 रीति पाठक, विधायक एवं पूर्व सांसद
  23. स्कूल ऑफ नर्सिंग दतिया – प्राचार्य, एसोसिएट व असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं, संस्थान बिना अकादमिक संरचना संचालित।
  24. 👉 नरोत्तम मिश्रा, पूर्व गृहमंत्री

इन 12 नर्सिंग कालेजों में लगभग 1 हजार सीटें

एनएसयूआई प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि शासकीय नर्सिंग कॉलेजों की कमियों को लेकर एनएसयूआईं द्वारा की गई शिकायतों को गंभीरता से लिया होता तो आज यह परिस्थिति नहीं होती। सरकार की लापरवाही के कारण हजारों गरीब परिवार की छात्राएं नर्सिंग कॉलेजों में प्रवेश से वंचित रह जाएंगी, क्योंकि वो प्राइवेट कालेजों की फीस भरने में सक्षम नहीं हैं। इन 12 नर्सिंग कालेजों में लगभग 1 हजार सीटें हैं।

एनएसयूआई की मांगें

  1. सभी शासकीय नर्सिंग कॉलेजों की स्वतंत्र उच्च स्तरीय जांच करवा तत्काल कार्यवाही की जाएं ।
  2. फर्जी नियुक्तियों और अनुभव प्रमाण पत्रों लगाने वाली फैकल्टियों पर एफआईआर हो ।
  3. नर्सिंग शिक्षा बचाने हेतु कड़े और पारदर्शी कदम उठाए जाएं।
  4. शासकीय नर्सिंग कालेजों के बिगड़ते हालातों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर तत्काल कार्यवाही कर उनका वेतन रोका जाएं। एन‌एसयूआई ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने इस गंभीर विषय पर कार्रवाई नहीं की तो छात्रहितों की रक्षा के लिए प्रदेश व्यापी आंदोलन किया जाएगा।

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