ढाका. कुछ लोग सोने का चम्मच लेकर पैदा होते हैं लेकिन सबके साथ ऐसा नहीं होता है. कुछ लोगों के साथ जिंदगी बेहद बेरहम होती है. एक 12 साल की बच्ची की कहानी कुछ ऐसी है. जिसके साथ वक्त बेहद क्रूरता से पेश आया लेकिन वो पूरी दिलेरी के साथ जिंदगी के थपेड़ों का सामना कर अपने परिवार का सहारा बनी हुई है.

बांग्लादेश के मशहूर फोटोग्राफर हैं जीएमबी आकाश. आकाश देश के विभिन्न हिस्सों में घूमते हैं औऱ बेहद संवेदनशील कहानियां निकालकर लोगों के सामने पेश करते हैं. उन्होंने अपने कैमरे से एक ऐसी कहानी लोगों के सामने पेश की. जिसने लोगों की रूह तक को कंपा दिया. अब आपको बताते हैं उस कहानी के बारे में जिसे आकाश ने पूरी दुनिया को अपने कैमरे के लेंस से दिखाया.

बांग्लादेश की राजधानी ढाका की रोतना अख्तर इस कहानी की हीरो हैं. रोतना की उम्र सिर्फ 12 साल है. जब इस बच्ची की उम्र सिर्फ 6 साल थी. इसके पिता की एक रोड एक्सीडेंट में मौत हो गई. पिता रिक्शा चलाकर घर का खर्च चलाते थे. उस रोड एक्सीडेंट के बाद परिवार के सामने खाने का संकट पैदा हो गया. पिता की मौत के बाद रोतना का परिवार सड़क पर आ गया. कई दिनों तक इनके परिवार के पास खाने को कुछ भी नहीं था.

पिता की मौत के बाद रोतना की मां ने अपने मासूम बच्चों का पेट भरने की खातिर पत्थर तोड़ने वाली फैक्ट्री में काम करना शुरु किया. रोतना की मां ने बेहद बीमार होने के बावजूद अपने बच्चों का पेट पालने के लिए पत्थर तोड़ने जैसा बेहद कठिन काम करना शुरु किया. मां को पत्थर तोड़ने जैसा काम करते देखकर नन्ही रोतना ने मां के काम में हाथ बटाने का फैसला लिया. 6 साल की मासूम बच्ची को पत्थर तोड़ने जैसा काम करते हुए देखकर लोगों की रूह कांप गई.

रोतना ने बिना थके और रुके अपनी मां के साथ पत्थर तोड़ना जारी रखा. उसका कहना है कि मेरे पिता हमेशा से चाहते थे कि हम भाई-बहन अच्छी शिक्षा ग्रहण करें. पहले मैं मुश्किल से 30 ईंट तोड़ पाती थी जिसका 30 टका मुझे रोजाना मिलता था. अब मैं 125 ईंट रोज तोड़ लेती हूं और अच्छा पैसा मिल जाता है. रोतना का कहना है कि अब मैं इतना पैसा कमा लेती हूं कि अपने भाई राणा की शिक्षा का बोझ उठा सकूं. उसका कहना है कि मेरा भाई पढ़ाई में बहुत अच्छा है. मैं पिछले 6 महीने से और भी ज्यादा काम कर रही हूं ताकि ज्यादा से ज्यादा पैसे इकट्ठा कर अपने भाई को साइकिल दिला सकूं. अगर उसके पास साइकिल होगी तो ट्यूशन पढ़ने और स्कूल जाने के लिए साइकिल का इस्तेमाल कर सकेगा और वह थकेगा नहीं. वह अपनी पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान दे सकेगा. बहन की इस हाड़तोड़ मेहनत को देखकर रोतना का भाई राणा कहता है कि मैं जब बड़ा हो जाउंगा तो नौकरी करके पैसे कमाऊंगा और अपनी बहन को बिल्कुल भी काम करने नहीं दूंगा.

रोतना की कहानी वाकई में इंसानी जिजीविषा और हौसले की बेहद मार्मिक कहानी है. जिसे सुनकर हर किसी का कलेजा कांप उठता है. रोतना की कहानी सुनने वाला हर शख्स इस बच्ची के हौसले को सलाम कर रहा है. हर कोई यही कह रहा है कि नियति को एक मासूम बच्ची के साथ इतना क्रूर नहीं होना चाहिए था.