हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर में 12 साल की मासूम बच्ची के हौसले ने उसे एक फेफड़े के साथ जिंदा रख रखा है. उसके मजबूत इरादों ने कोरोना जैसी गंभीर महामारी पर विजय हासिल कर ली. 15 से 20 दिनों तक एक फेफड़े के साथ जो 40 प्रतिशत ही काम करता है. यानी मासूम बच्ची ने अपने 40 प्रतिशत लंग्स के साथ पर अपनी मजबूत इच्छाशक्ति, हौसले और दृढ़ आत्मविश्वास के बदौलत कोविड-19 जैसी घातक महामारी पर विजय हासिल कर लिया. हंसते- खेलते वायरस को मात दे दी.
एक फेफड़े और एक हाथ की बच्ची
दरअसल इंदौर की 12 साल की सिमी के पास एक ही फेफड़ा है. जन्म से ही उसका एक हाथ नहीं है. जिंदा रहने के लिए वह हर रोज एक-एक सांस के लिए लड़ती है. 4 साल से हर रात उसे ऑक्सीजन लगती है, लेकिन उसके हौसले के आगे कोरोना भी पस्त हो गया. एक समय उसका ऑक्सीजन लेवल 50 पर पहुंच गया, लेकिन उसने हार नहीं मानी. शहर के इलेक्ट्रिक व्यवसायी सांघी कॉलोनी निवासी अनिल दत्ता की सिमी (12) दूसरे नंबर की बेटी है. 2008 में सिमी गर्भ में थी, तब अस्पताल में सोनोग्राफी हुई थी. डॉक्टरों ने दोनों रिपोर्ट में सबकुछ अच्छा बताया था. 2009 में सिमी का जन्म हुआ, तो परिवार में मायूसी छा गई. उसका बायां हाथ नहीं था. रीढ़ की हड्डी फ्यूज थी और किडनी भी अविकसित थी. 8 साल बाद एक फेफड़ा भी पूरी तरह सिकुड़ गया. फेफड़ा सिकुड़ने की वजह से ऑक्सीजन लेवल 60 तक पहुंच जाता है. उसे हर रोज रात में ऑक्सीजन लगाई जाती है.
बच्ची ने कोरोना को दी मात
कोरोना संक्रमण फैला तो माता-पिता ने उसका बहुत ध्यान रखा, लेकिन कुछ समय बाद अनिल दत्ता भी संक्रमण की चपेट में आ गए. कुछ दिन बाद सिमी भी संक्रमित हो गई. वह ए सिम्टोमैटिक (सामान्य लक्षण) थी. तब उसका ऑक्सीजन लेवल 50 तक चला गया. इस दौरान परिवार ने डॉ. मुथीह पैरियाकुप्पन (अब चेन्नई में) से परामर्श लिया. घर में ही उसे बॉयपेप और ऑक्सीजन लगाई. कई दिनों तक वह इसी स्थिति में रही. उसने हौसला नहीं हारा और 12 दिन बाद कोरोना से भी जंग जीत ली. फिर उसने डॉक्टर के बताए अनुसार एक्सरसाइज भी शुरू की. अब स्थिति यह है कि उसे हर रात ऑक्सीजन व कई बार बायपेप की जरूरत होती है, लेकिन उसका बुलंद हौसला बरकरार है. वह देहली वर्ल्ड पब्लिक स्कूल (डीडब्ल्युपीएस, शिप्रा) में 7वीं में पढ़ती है. उसे जीने के लिए जिंदगीभर तक रोज रातभर ऑक्सीजन लेनी होगी. ज्यादा दिक्कत होने पर कई बार बायपेप भी लगाया जाता है.
दृढ़ आत्मविश्वास से परिजनों को मिलती है प्रेरणा
बच्ची के पिता अनिल दत्त ने बताया बच्ची दूसरे बच्चों से अलग है. औसतन 50 प्रतिशत के आसपास ही उसका ऑक्सीजन लेवल रहता है. कभी-कभी 70 तक पहुंचता है, लेकिन रोजाना सोते वक्त ऑक्सीजन लेवल 50 से नीचे पहुंच जाता है. कोविड- के दौरान उसका ऑक्सीजन लेवल 50 प्रतिशत के नीचे पहुंच गया था. जिससे उसकी कभी-कभी यादाश्त भी चली जाती थी. इसके बावजूद बच्ची में जिंदगी जीने की एक ललक है. बीमारी को बीमारी नहीं समझती है. अस्पताल गए बिना घर में ही अपने मजबूत हौसले इरादे साहस दृढ़ शक्ति जीने की शक्ति से कोरोना को मात दे दी. बच्ची मानसिक रूप से मजबूत है और उसके दृढ़ आत्मविश्वास से ही उसके हौसले से हम पूरे परिवारजनों को प्रेरणा और एक ताकत मिलती है.
एक मासूम ने दूसरी मासूम बच्चों को दिया संदेश
मासूम बच्ची ने अन्य बच्चों को संदेश दिया है. बच्ची का कहना है कि जिन बच्चों को को कोविड होता है उनको 14 दिन के लिए क्वॉरेंटाइन होना चाहिए, स्टीम लेना चाहिए और डॉक्टरों की सलाह जरूर लेना चाहिए. कुछ लोग जिनको कोविड-19 से डर लगता है, उन्हें कोविड वैक्सीन जरूर लगवाना चाहिए. मेरी मम्मी पापा और सिस्टर ने लगवा लिया है. उनको 2 दिन बुखार आया और बुखार तो आएगा, डरने की जरूरत नहीं है. कुछ लोगों में ऐसा होता है. सभी को वैक्सीन लगवाना चाहिए.
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