आशुतोष तिवारी,जगदलपुर. पुलिस ने 12 साल पहले निर्मलक्का को रायपुर से नक्सली बताते हुए गिरफ्तार किया था. लेकिन अब उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिलने से जगदलपुर केंद्रीय जेल ने रिहा कर दिया है. रिहाई के बाद निर्मलक्का ने कहा कि प्रशासन ने मुझ पर नक्सली होने का आरोप लगाया, पर मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं जुटा पाई. मुझे नक्सली साबित नहीं कर पाई, जिससे कोर्ट को मुझे छोड़ना पड़ा. अब वो घर जाकर अपने पति और बच्चों के साथ शांति से रहना चाहती है.
दरअसल पुलिस ने 157 मामले में निर्मलक्का और पति चन्द्रशेखर रेड्डी को 2007 में गिरफ्तार किया था. बाद में चंद्रशेखर को न्यायालय से रिहाई के आदेश पर छोड़ दिया गया था. लेकिन निर्मलक्का को जेल में ही रखा गया. 12 साल जेल में रहने और सभी मामलों में अलग-अलग कोर्ट ने सबूतों और गवाहों के बयान के आधार पर उनके खिलाफ जुर्म साबित न होने पर दन्तेवाड़ा कोर्ट ने 2 अप्रैल को रिहाई के आदेश दे दिए गए. जिसके बाद आज लगभग 11 बजे उन्हें केंद्रीय कारागार से मुक्त किया गया.
निर्मलक्का ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि मुझे औऱ मेरे पति को जेल भेज दिया गया, हालांकि उनकी रिहाई हो गई थी. निर्मलक्का ने बताया कि साल 2007 जुलाई से केस शुरू हुआ था. मेरे अंतिम मामले में फैसला दंतेवाड़ा के फ़ास्टट्रैक कोर्ट से किया गया. शासन इस पूरे मामले में कोई भी सबूत जुटा नहीं पाया और कोर्ट को हमें छोड़ना पड़ा. कई प्रकरण तो ऐसे थे, जिसे सुनने और निपटाने में 10 साल का समय लग गया.
उन्होंने बताया कि वर्ष 2007, 8, 14, 15 में भी नए-नए मामले दर्ज होते रहे, लेकिन किसी में भी अपराध साबित नहीं हो पाया. जिसके चलते आज जगदलपुर केंद्रीय जेल से रिहा हो गई हूं. निर्मलक्का से शासन के खिलाफ कोर्ट जाने के सवाल पर उसने कहा कि फिलहाल मैं अपने घर जाकर अपने पति और बच्चों के साथ शांति से रहना चाहती हूं. यहां से पहले अपने मायके श्रीकाल जाऊंगी. वहां से चितुर अपने ससुराल जहां पति और बेटा मेरा इंतजार कर रहे हैं उनके साथ आम जिंदगी बिताऊंगी.