विप्लव गुप्ता,पेंड्रा. कोरोना महामारी में फंसे मजदूरों तक सरकार ने सूखा राशन और विशेष राहत पहुंचाई है. लेकिन राजधानी रायपुर के फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूरों के प्रति उद्यमियों की संवेदनहीनता की तस्वीरें सामने आई है. एक परिवार अपने दूध मुंही बच्ची एवं 4 साल के बच्चे को लेकर रायपुर से 400 किलोमीटर की पदयात्रा पर निकले हैं. इसके अलावा 14 मजदूर साइकिल से 1200 किलोमीटर दूर अपने घर जाने के लिए निकल पड़े हैं. इस घटना ने उद्यमियों की संवेदनहीनता की पोल खोलकर रख दी है. साथ सरकारी आदेश की भी धज्जिया उड़ा कर रख दी है, जिसमें कहा गया था कि मजदूरों को रुपए दें और मकान मालिक किराया न वसूले.

दरअसल, डिंडोरी जिले के गोरखपुर का रहने वाला एक परिवार है जो रायपुर की एक जीआई वायर बनाने वाली कंपनी में मजदूरी करता था. कोरोना महामारी के बाद हुए लॉकडाउन में एक महीना तो जैसे तैसे बचत पैसों से गुजर गया, पर जब गुजारा मुश्किल हो गया तब मकान मालिक ने किराए के लिए परेशान करना शुरू कर दिया, पराए शहर में अपनी अस्मिता और आत्म सम्मान बचाने के लिए मजदूरों ने रायपुर से मध्यप्रदेश डिंडोरी जिले के गोरखपुर तक का लगभग 400 किलोमीटर का पैदल सफर शुरू कर दिया.

 

तीन दिन लगातार चलने के बाद आज यह परिवार पेंड्रा पहुंचा, चलते-चलते जब बच्ची थक जाती तो पिता बच्ची को गोदी में उठा लेता, जब बच्ची को लगता कि पिता उसके बोझ से थक रहा है तो उतर कर फिर पैदल चलने लग जाती,  हालांकि बीच में कुछ दूरी ट्रक चालकों ने भी लिफ्ट दी, पर फिर भी पैदल यात्रा तो करनी ही पड़ी,  उस पर से तेज धूप और बार-बार बदलता मौसम ने इनकी खूब परीक्षा ली. रास्ते में कहीं भोजन की व्यवस्था नहीं हो सकी.

कुछ ही देर में साइकिलों से गुजरता श्रमिकों का एक समूह भी पहुंच गया जो रायपुर के फॉर्चून इस्पात कंपनी में कार्यरत थे मजदूरों ने बताया कि 8 घंटे काम करने का वेतन नहीं मिला, ऊपर से दाना पानी खत्म हो गया.  मकान का किराया देने के लिए जब पैसे नहीं बचे, जिस कारखाने में काम करते थे, उन्होंने भी जब हाथ खड़े कर दिए, तब बचे पैसों से सबने साइकिल खरीदा और साइकिल से ही रायपुर से उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिले बनारस, देवरिया, जौनपुर, हमीरपुर के लिए निकल पड़े. अगर दूरी की बात करें तो रायपुर से पेंड्रा लगभग 250 किलोमीटर है, जबकि यहां से उत्तर प्रदेश के जिन जिलों में जाने के लिए यह मजदूर निकले हैं, उनकी दूरी कम से कम 500 से 700 किलोमीटर है.

केंद्र सरकार ने राहत पैकेज के रूप में 170000 करोड रुपए के भारी-भरकम पैकेज का ऐलान किया है. साथ ही राज्य सरकारी भी इसमें पीछे नहीं है पर ऐसे वक्त पर मजदूरों के खून पसीने से आलीशान घरों में रहने वाले बड़ी-बड़ी गाड़ियों में घूमने वाले उद्योगपतियों का जो निष्ठुर और निर्दयी चेहरा सामने आया है वह मानवता को शर्मसार करने वाला है.