शरद पाठक, छिंदवाड़ा। जिस देश में, जहां आज भी करोड़ों लोगों को दो टाइम का ठीक से खाना नसीब नहीं होता है। जहां आज भी लाखों लोग एक टाइम खाना खाकर अपना जीवन गुजार हैं। वहीं इसी देश में दूसरी तरफ सरकार और अधिकारियों की लापरवाही से हर साल लाखों-करोड़ों टन फसल बरबाद होते हैं। अनाज की बर्बादी का ताजा मामला मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा से आया है। यहां गरीबों को बांटने के लिए खुले में रखा 14 हजार टन गेहूं भीग कर खराब हो गया। बर्बाद हुए अनाज की कीमत लगभग 27 करोड़ रुपए है।
इस कैंप में 2020 में 1925 रुपए के समर्थन मूल्य पर उपार्जन किया हुआ 47 हजार मेट्रिक टन गेहूं रखा गया था। जिसमें से 14 हजार मेट्रिक टन अनाज पूरी तरह से खराब हो चुका है।
आरोप है कि 27 करोड़ की लागत से खरीदे गए इस अनाज को शराब फैक्ट्रियों को फायदा पहुंचाने के लिए जानबूझकर सड़ाया जा रहा है। भंडारण किया गया गेंहू अब इंसानों के खाने लायक नहीं बचा है ।
गरीबों को बांटने के लिए 2020 में उपार्जन किया गया था। 27 करोड़ का गेंहू अब इंसानों के खाने लायक नहीं बचा है ।अनाज के बोरों से बदबू आ रही है, अनेक बोरे फट चुके हैं और उनमें से पौधे निकल आए हैं। अनाज के दाने काले पड़ चुके हैं। जिस मार्कफेड को इस गेहूं के रखरखाव की जिम्मेदारी दी थी, उसने इनकी सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किया था। इसके कारण शासन को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है।
शराब फैक्ट्रियों को दे सकती है सरकार
अब अनाज पूरी तरह सड़ जाने के बाद अधिकारी उसके सेमिग्रेशन का आदेश दे रहे हैं। टीम भी बनाई जा रही है, लेकिन अब यह अनाज किसी भी रूप में इंसानों के खाने योग्य नहीं बचा है। इसे केवल शराब फैक्ट्रियों को दिया जा सकता है।
शराब फैक्ट्रियों को फायदा पहुंचाने का आरोप
जानकारों के मुताबिक अधिकारियों द्वारा शराब फैक्ट्रियों को फायदा पहुंचाने के लिए जानबूझकर हर साल इसी तरह से अनाज को सड़ाया जाता है। यहां तक की गोदामों के खाली रहने के बावजूद भी इस अनाज को वहां पर शिफ्ट नहीं किया गया। अब सवाल यह भी उठ रहा है कि इस नुकसान का आखिर जवाबदार कौन है ।