बिहार के रोहतास में जिला अदालत ने एक नाबालिग से दुष्‍कर्म करने के बाद हत्या के आरोपी को दोषी करार देते हुए सजा-ए-मौत का फैसला सुनाया गया है। अदालत ने बक्सर जिले के धनसोई निवासी शाहिद को सजा सुनाते हुए कहा कि उसे समाज में रहने का अधिकार नहीं है। बता दें कि दुष्कर्म और हत्या की यह घटना 16 जून, 2009 को हुई थी।

करीब 14 साल पुराने दुष्कर्म व हत्या के मामले में रोहतास के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम मनोज कुमार की अदालत ने मौत की गुरुवार को सजा सुनाई। सजा सुनाते हुए अदालत ने कहा कि करगहर थाना क्षेत्र के एक गांव की उस बिटिया के साथ यह दरिंदगी हुई, जिसके सिर पर पिता का साया नहीं था।

अनपढ़ मां के लिए तंगी से जूझ रही थी, उसके लिए दो वक्त की रोजी-रोजी का जुगाड़ करना मुश्किल था। ऐसी नाबालिग लड़की से दोषी का कृत्य मानव नहीं दानव का रहा है। इसलिए उसे समाज के बीच रहने का अधिकार नहीं है। दोषी को मौत की सजा सुनाई जाती है।

यह घटना उस वक्‍त हुई, जब लड़की गोबर के उपले बनाकर अपने घर लौटी और उस वक्‍त उसके घर में कोई नहीं था। वह अकेली थी। तभी आरोपी ने घर में घुसकर पहले नाबालिग से दरिंदगी की और फिर गला दबा कर हत्या कर दी थी। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि जब बेटी घर में सुरक्षित नहीं तो बाहर उसके सुरक्षित होने की क्‍या ही उम्‍मीद की जा सकती है।

शाहिद को मृत्युदंड की सजा सुनाते हुए कहा कि इस घटना को विरलतम से विरलतम की श्रेणी में रख मृत्युदंड की सजा सुनाई गई। साथ ही 50 हजार का अर्थदंड भी लगाया गया। कोर्ट ने कहा कि जब शाहिद ने इस घटना को अंजाम दिया, उस समय उसकी उम्र 42 वर्ष थी।

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