रायपुर। कोरोना काल में भी डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के जनरल सर्जरी विभाग के अंतर्गत संचालित ब्रेस्ट क्लीनिक में स्तनों से सम्बन्धित समस्याओं के इलाज के लिये पहुंचने वाली महिलाओं एवं किशोरियों की संख्या में कमी नहीं आई। यही वजह है कि इस वर्ष जनवरी से लेकर अब तक 1480 महिलायें ब्रेस्ट क्लीनिक में स्तनों से सम्बन्धित समस्याओं के उपचार के लिये पहुंची हैं। अम्बेडकर अस्पताल में विगत तीन वर्षों से विशेषकर महिलाओं एवं युवतियों के लिये संचालित ब्रेस्ट क्लीनिक में रोजाना 15 से 20 महिलायें एवं युवतियां अपना ईलाज कराने के लिये पहुंच रहीं हैं। इसमें कम उम्र की किशोरियों, युवतियों से लेकर अधिक उम्र की वे सभी महिलायें हैं जिनको स्तन से सम्बन्धित समस्यायें हैं। सोमवार से शनिवार सप्ताह के छह दिन संचालित ब्रेस्ट क्लीनिक ओपीडी में महिलाओं के स्तनों से सम्बन्धित समस्या का समाधान भी महिला विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो यहां महिला स्वास्थ्य की देखभाल महिलाओं के द्वारा ही की जाती है।

जनरल सर्जरी की विभागाध्यक्ष डॉ. शिप्रा शर्मा एवं विभाग की वरिष्ठ महिला चिकित्सकों द्वारा महिलाओं की परेशानियों को देखते हुए तीन वर्ष पूर्व ब्रेस्ट क्लीनिक की शुरूआत की गई थी। सर्जरी विभाग की महिला विशेषज्ञों की टीम में डॉ. शिप्रा शर्मा, डॉ. मंजु सिंह, डॉ. अंजना निगम, डॉ. सरिता दास नियमित रूप से ब्रेस्ट क्लीनिक का संचालन कर रही हैं।

ब्रेस्ट क्लीनिक में महिलाओं का इलाज करने वाली सर्जरी एवं स्तन रोग विशेषज्ञ डॉ. मंजू सिंह बताती हैं कि स्तनों से सम्बन्धित सभी प्रकार की समस्या की जांच एवं इलाज यहां किया जाता है। स्तनों में बीमारियों की बारीकी से परीक्षण के लिये सोनोग्राफी एवं मेमोग्राफी का सहारा भी लिया जाता है ताकि गांठ या लम्प के प्रकार का पता चल सके। यदि इसमें कैंसर के लक्षण परीलक्षित होते हैं तो आगे सुई जांच (नीडिल बायोप्सी) के जरिये तरल पदार्थ का नमूना लेकर जांच के लिये भेजा जाता है।

आंकोप्लास्टी तकनीक से होता है उपचार

डॉ. मंजू सिंह के अनुसार, स्तनों में यदि किसी भी प्रकार की गांठ है तो उसे कॉस्मेटीकली सर्जरी से इस तरह निकाला जाता है कि स्तनों की खूबसूरती और आकार में कोई प्रभाव न पड़े। कैंसर की गांठ भी आंकोप्लास्टी तकनीक से निकाली जाती है जिससे पूर्ण स्तन न निकाल कर गांठ एवं स्तन का कुछ हिस्सा ही निकाला जाता है एवं स्तन का आकार पुनः लगभग बराबर कर दिया जाता है जिससे महिला को स्तन निकालने से होने वाली मानसिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता।

दर्दरहित गठान इसलिए देरी से पहुंचती हैं महिलाएं

स्तन एवं इसके आस-पास के क्षेत्रों में होने वाली कैंसर की गठान दर्द रहित होती है इसलिए कई महिलाएं इसे नज़रअंदाज कर देती हैं। नज़रअंदाज करने के कारण गांठ कई बार बहुत बड़ी होकर स्तन के पूरे हिस्सों में फैल जाती है।

पिछले कुछ वर्षों तक समाज में जहां स्तन एवं उससे सम्बन्धित बीमारियों का जिक्र तक नहीं कर सकते थे वहीं अब मीडिया के माध्यम से आयी जागरूकता के कारण महिलायें बेहिचक ब्रेस्ट क्लीनिक की ओपीडी में स्तनों की जांच कराने पहुंच रहीं हैं।

एक ही छत के नीचे सम्पूर्ण इलाज

जनरल सर्जरी के साथ-साथ यहां रेडियोलॉजी एवं पैथोलॉजी विभाग में जांच की सुविधा होने के कारण ब्रेस्ट से सम्बन्धित बीमारियों से जूझने वाली महिलाओं को यहां-वहां दौड़ना नहीं पड़ता। यदि गठान सामान्य है तो उसे दवाईयों के जरिये या फिर छोटी सर्जरी के जरिये निकाल दिया जाता है। वहीं यदि यह गांठ कैंसर की है तो उसके आगे के उपचार की दिशा-निर्देश तय की जाती है।

ओपीडी में सिखाये जाते हैं सेल्फ एक्जामिन के तरीके

ब्रेस्ट क्लीनिक की ओपीडी में आने वाली प्रत्येक महिला को ब्रेस्ट के सेल्फ एक्जामिन के तरीके बताये जाते हैं ताकि वह अपने घर की प्रत्येक महिला को जागरूक कर सके। कई बार ब्रेस्ट के सही परीक्षण (एक्जामिन) के तरीकों को गहराई से समझाने के लिये पांच मिनट का शार्ट वीडियो भी दिखाया जाता है।

महिला स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी

जनरल सर्जरी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ शिप्रा शर्मा ने कहा कि महिला स्वास्थ्य पर ध्यान देना आजकल बेहद जरूरी है। प्रत्येक घर में बड़ी होती बच्चियां, किशोरी, महिलायें होती हैं। कई बार झिझक के कारण वो अपनी व्यक्तिगत समस्या किसी से साझा नहीं कर पातीं। अतः ये पुरुषों का भी बराबर दायित्व होता है कि वे महिलाओं के स्वास्थ्य की समय-समय पर जांच करातें रहें।

नौ हजार से भी अधिक महिलाओं का हो चुका है उपचार