अनिल सक्सेना, रायसेन। जलते वन और अधिकारी जांच की बात कर रहे। जी हां… हम बात कर रहे औबेदुल्लागंज वन मंडल की। यहां लापरवाही का नतीजा आग से 150 एकड़ में लगा प्लांटेशन जलकर खाक हो गया। साल 2020 में वन परीक्षेत्र गोहरगंज के पांजरा वीट में कंपार्टमेंट नंबर 831 में अस्सी लाख रुपए की लागत से ग्रीन इंडिया मिशन के तहत प्लांटेशन किया गया था। यहां सगोंन,शीशम,कंजी, चिरोल,जाम, सहित कई प्रजाति के लाखों पौधे लगाए गए थे। कल प्लांटेशन में लगी आग के कारण लगभग 150 एकड़ में लगे प्लांटेशन के पौधे नष्ट हो गए हैं। जिसके बाद अब वन मंडल औबेदुल्लागंज के डीएफओ विजय कुमार इस मामले में दल गठन और जांच की बात कह रहे हैं।

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वन परिक्षेत्र गोहरगंज की पांजरा बीट में प्लांटेशन में आग इतनी भयानक थी कि इस आग में 80 लाख रुपए की लागत से लगाए गए 150 एकड़ का प्लांटेशन जलकर खाक हो गया। इस आग में न सिर्फ प्लांटेशन खाक हुआ बल्कि मवेशियों का चारा और छोटे पशु-पक्षी भी जल गए।

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दोपहर में लगी आग ने शाम तक भयंकर रूप ले लिया जिसके बाद चौकीदार और दूसरे कर्मचारियों ने अपने स्तर पर आग बुझाने की कोशिश की लेकिन उनके प्रयास नाकाफी साबित हुए। लेकिन अधिकारी मौके पर नहीं पहुँचे।अधिकारी मौके पर पहुंचते और दमकल आदि के इंतजाम किए जाते तो इस आग पर काबू पाया जा सकता था साथ ही नुकसान इतने व्यापक न होता।

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वन क्षेत्रों में हो रहे कार्यों को वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा बाहर के ठेकेदारों से कराए जाने के कारण स्थानीय व क्षेत्रीय सहित वन समितियों की उपेक्षा हो रही है। जिसके चलते वन क्षेत्रों से उनका लगाव कम हो रहा है। इस उपेक्षा का प्रमाण शासकीय दस्तावेजों में भुगतान प्रपत्र में देखा जा सकता हैं। स्थानीय समितियां एवं मजदूर वर्ग प्राकृतिक वन संपदा जैसे तेंदूपत्ता, चार बिजी, महुआ, माहौल पत्ता, आंवला आदि बटोरकर जीवन यापन करते है एवं मजदूरी का कार्य विभाग इन्हें न दे कर मशीनों ओर बाहरी ठेकेदारों से करा रहे हैं। इसके कारण स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिल पाता है। इसके कारण लोग पलायन करते हैं।

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