सुरेन्द्र जैन, धरसीवां। कहते हैं जल ही जीवन है, लेकिन पानी अगर साफ ना हो तो, वो जहर से कम नहीं होता और ये जहर पानी की शक्ल में लोगों की जिंदगी तबाह कर रहा है. लोग बीमार पड़ रहे हैं. गांव में जो हैंडपंप, बोर और कुआं हैं, वो जहर उगल रहे हैं. हर हैंडपंप से जहरीला पानी निकल रहा है. हर रोज लोगों को दूसरे गांव से पानी पीना पड़ता है. ये जो नर्क सी जिंदगी ग्रामीणों के किस्मत में आई है, वो कहीं और से नहीं गांव के आसपास की फैक्ट्रियां दे रही हैं. गांव का पूरा भूजल जहरीला हो गया है.

दरअसल, धरसीवां क्षेत्र के ग्राम कन्हरा में जमीन और आसमान ही नहीं अपितु भूजल को भी प्रदूषण की काली छाया ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है. उरला औद्योगिक क्षेत्र से लगे इस गांव में जगह-जगह बोर कराने के बाद भी पानी पीने लायक नहीं निकल रहा है.

धरसीवां क्षेत्र के ग्राम कन्हरा के लोगों के लिए उरला औद्योगिक क्षेत्र अभिशाप से कम नहीं है. जब गांव में शुद्ध पानी नहीं निकला तब दो ढाई किलोमीटर दूर पड़ोसी गांव कुम्हारी में बोर कराया गया. वहां से पाइप लाइन के माध्यम से अब कन्हरा तक पेयजल की आपूर्ति हो रही है.

LALLURAM.COM की टीम ने ग्राम पंचायत सचिव से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि अभी कुम्हारी से पहले हजार हजार लीटर की टंकियों में पानी भरता है, तब ग्रामीण टंकियों से पेयजल ले जाते हैं. गांव का भूजल प्रदूषण के कारण पीने लायक नहीं बचा है. फैक्ट्रियों ने सब तबाह कर दिया.

ग्रामीणों का कहना है कि फैक्ट्रियों के कारण गांव का भूजल पीने योग्य नहीं बचा. पड़ोसी गांव से पानी आता है, लेकिन जिस दिन पानी नहीं आता उस दिन बहुत परेशानी होती है. पानी के एक-एक बूंद के लिए तरसते हैं.

कन्हरा गांव में औद्योगिक प्रदूषण से भूजल पीने योग्य नहीं रहा. बाबजूद इसके अब भी सिलतरा और उरला औद्योगिक क्षेत्रों से लगे गांव में न तो उद्योगों का कूड़ा कचरा राखड़ डलना बन्द हुआ न ही चिमनियों से निकलने वाला जहरीला धुंआ बन्द हुआ है.

ग्रामीण अंचलों में कुछ स्वारथी जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से औद्योगिक कचरा गांवों के आसपास ही फेंका जा रहा है. कहीं ऐंसा ही रहा तो वह दिन दूर नहीं जब धरसींवा क्षेत्र के अन्य गांवों को भी कहीं अन्यत्र से पेयजल लाना होगा.

बहरहाल, फैक्ट्रियां गांव को नर्क में धकेल ही रही है, इससे घातक इलाके के जनप्रतिनिधी हैं, जो ग्रामीण इलाकों को जहरीले इलाके में तब्दील कर रहे हैं. नालियों की पानी की गंदगी और कूड़ा करकट इलाके को तबाह कर रहा है, लेकिन न प्रशासन ध्यान दे रहा है और न ही जनप्रतिनिधी, जिससे अब लोग अपनी तबाही और बर्बादी के लिए कोस रहे हैं.