भोपाल/जबलपुर। मध्यप्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस समारोह आयोजित किया गया। भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर आयोजित इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि के रूप में वर्चुअली शामिल हुए। कार्यक्रम का शुभारंभ राज्यपाल मंगुभाई पटेल और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जनजातीय नायकों के चित्रों पर माल्यार्पण कर किया। उन्होंने शालिनी ऐप का लोकार्पण किया। इस दौरान सिकल सेल एनीमिया पर केंद्रित लघु फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया। उसके बाद राष्ट्रगान और राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम का सामूहिक गायन हुआ। कार्यक्रम में महिला क्रिकेट विश्वकप में जबरदस्त प्रदर्शन करने वाली छतरपुर की क्रांति गौड़ को 1 करोड़ रुपये का चेक सौंपा गया। उनके अलावा पद्मश्री अर्जुन सिंह घुर्वे, फुलझारिया बाई, विक्रम अवॉर्डी रागिनी मार्को, सृष्टि सिंह को भी सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार जनजातीय वर्ग का कल्याण हो रहा है। हमें खुशी है कि जनजातीय समाज की सबसे बड़ी आबादी मध्यप्रदेश में रहती है। हमें गर्व है कि जिस ब्रिटिश साम्राज्य का सूर्य अस्त नहीं होता था उनके खिलाफ हमारे आदिवासी भाई-बहनों ने आजादी के लिए संघर्ष किया। हमारी जनजातीय समाज ने जल-जंगल-जमीन और हमारे स्वाभिमान की रक्षा के लिए अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया।

आदिवासी नायकों ने आजादी के लिए किया अपार त्याग

कार्यक्रम में गुजरात से वर्चुअली जुड़े प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर देशभर में आयोजन हो रहे हैं। सरदार पटेल की जयंती से हमारी एकता और विविधता को मनाने के लिए भारत पर्व शुरू हुआ था। आज यह पर्व पूर्णता प्राप्त कर रहा है। आज काशी विश्वनाथ, महाकाल की चर्चा होती है। पिछले एक साल में देश में कई धामों का विकास हुआ है। कितने ही जनजातीय नायक-नायिकाओं ने आजादी की मशाल को आगे बढ़ाया। मध्यप्रदेश के टंट्या भील जैसे अनेक नायकों ने आजादी के लिए अपार त्याग किया। उन्होंने अंग्रेजों को चैन से नहीं बैठने दिया। क्रांतिकारियों ने आजादी के लिए अपना लहु बहाया। गुजरात के गोविंद गुरु ने भगत आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने कहा कि सांवरकाठा के पास चिथरिया में जलियांवाला बाग जैसी घटना हुई थी। स्वंतत्रता आंदोलन में जनजातीय समाज के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। लेकिन, कुछ ही परिवारों को आजादी का श्रेय देने के लिए जनजातीय नायकों के त्याग और बलिदान को नकार दिया गया था। हमने जनजातीय गौरव दिवस के माध्यम से भावी पीढ़ियों को उनसे परिचित कराया है।

आदिवासी वर्ग को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाया जा रहा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि गुजरात सहित देश में बड़े पैमाने पर ट्राइबल म्यूजियम बनाए जा रहे हैं। रांची की जेल को भव्य स्मारक के रूप में विकसित किया गया है। इस जेल में कभी भगवान बिरसा मुंडा कैद रहे थे। देश में सभी जनजातियों की बोलियों पर अध्ययन होगा। उनकी जीवनशैली से सीखा जाएगा। इसमें विज्ञान छिपा है। उन्होंने कहा कि यह दिवस हमें करोड़ों जनजातियों के साथ हुए अन्याय को याद करने का अवसर देता है। कांग्रेस ने आदिवासियों को उनके हाल पर छोड़ दिया था। कांग्रेस की सरकारें हाथ पर हाथ धरकर बैठी रहीं। लेकिन, आदिवासी कल्याण भाजपा की प्राथमिकता रही है। हम जनजातीय वर्ग को विकास की धारा से जोड़ेंगे और उन्हें मुख्य धारा में लाएंगे। 6 दशकों तक कांग्रेस की सरकारें रहीं, लेकिन जब स्व. प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी तब देश में पहली बार जनजातीय कल्याण मंत्रालय बना। उसके बाद कांग्रेस की सरकार बनी और उसने इस मंत्रालय पर ध्यान नहीं दिया। आदिवासियों को शिक्षा, स्वास्थ्य, कनेक्टिविटी हर क्षेत्र में आगे बढ़ाया जा रहा है।

जनजातीय वर्ग का बदल गया जीवन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को अभाव था। पिछले 2 दशकों में आदिवासी इलाकों में 10 हजार से अधिक स्कूल और 2 दर्जन साइंस-आर्ट-कॉमर्स विषयों के कॉलेज बने हैं। गुजरात में दो ट्राइबल यूनिवर्सिटी बनवाई। आदिवासी बच्चे आज डॉक्टर-इंजीनियर बन रहे हैं। वे सरकारी नौकरियां कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश के एकलव्य विद्यालयों पर 18 हजार करोड़ से अधिक खर्च किए गए हैं। इन स्कूलों के प्रवेश में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दुनिया में देश की शान बढ़ाने में आदिवासी युवाओं का बड़ा योगदान है। अभी भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने वर्ल्ड कप जीतकर इतिहास रखा है। उस टीम में भी एक जनजातीय बेटी है।

आदिवासी इलाकों में लॉन्च हो रहीं केंद्र सरकार की योजनाएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार की कई योजनाओं को आदिवासी इलाकों में लॉन्च किया जा रहा है। आयुष्मान आरोग्य मंदिरों की शुरुआत छत्तीसगढ़ से की गई। झारखंड के खूंटी गांव से हमने पीएम जनमन योजना शुरू की थी। मैं देश का पहला प्रधानमंत्री हूं, जो भगवान बिरसा मुंडा के गांव गया। धरती आबा ग्राम उत्कर्ष अभियान के अंतर्गत गांवों में स्वास्थ्य-शिक्षा-कृषि-स्वच्छ पेयजल पर पंचायतों में योजनाएं तैयार की जा रही हैं। हमारी सरकार मोटे अनाज श्रीअन्न को बढ़ावा दे रही है। इसका लाभ आदिवासी भाई-बहनों को मिल रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि आदिवासी समुदायों में सिकल सेल एनीमिया का खतरा रहा है। अब तक देश में 6 करोड़ लोगों की स्क्रीनिंग हो चुकी है। आदिवासी बच्चों की पढ़ाई में भाषा की बाधाएं खत्म की जा रही हैं। जनजातीय समाज में कला और चित्रकारी प्रचलित है। इस समुदाय के चित्रकार परेशभाई राठवा को पद्म पुरस्कार मिल चुका है।

विकास में न कोई पीछे रहे-न छूटे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज देश की राष्ट्रपति जनजातीय समुदाय से आती हैं। छत्तीसगढ़-ओडिशा-अरुणाचल प्रदेश-नागालैंड में आदिवासी समुदाय के मुख्यमंत्री हैं। मध्यप्रदेश में जनजातीय समुदाय से आने वाले मंगुभाई पटेल राज्यपाल हैं। विकास में न कोई पीछे रहे, न कोई छूटे। यही धरती आबा के चरणों में हमारी सच्ची श्रद्धांजलि है। देशभर में जनजातीय गौरव दिवस को संपूर्ण गौरव के साथ मनाया जा रहा है। वंदे मातरम गीत के 150 साल हुए हैं। यह गीत आज भारत की एकता का प्रेरणा स्रोत बन गया है।

बिरसा मुंडा और जनजातीय नायक किराड़ की प्रतिमा का अनावरण

इससे पहले मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आलीराजपुर में भगवान बिरसा मुंडा और स्थानीय जनजातीय नायक छितु किराड़ की आदम कद प्रतिमा का अनावरण किया। उन्होंने 49.73 करोड़ की लागत के विकासकार्यों का भूमिपूजन और 194.87 करोड़ की लागत के विकासकार्यों का लोकार्पण भी किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि आज का दिन हमारे लिए दीवाली और होली से बढ़कर है। धरती आबा भगवान बिरसा मुंड की 150वीं जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है। यहां जन्मे क्रांतिकारी छितु किराड़ ने अपने संकल्पों से अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे। जनजातीय संस्कृति से समृद्ध आलीराजपुर क्षेत्र किसी स्वर्ग से कम नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में प्रदेश के विकास की अनेक सौगातें मिली हैं। आलीराजपुर गुजरात के पास है और प्रधानमंत्री मोदी के दिल के करीब भी है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने देशवासियों पर अत्याचार और कत्लेआम किए। भगवान बिरसा मुंडा ने जनजातीय समाज को साथ लेकर सशस्त्र विद्रोह कर अंग्रेजों को चुनौती दी। टंट्या मामा, अमर क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद और शहीद छितु किराड़े ने मध्यप्रदेश की धरती से आजादी के अभियान को आगे बढ़ाया। आजादी के दीवानों को याद करते हुए आज हमारी सीना गर्व से फूल जाता है। देश की आजादी में जनजातीय अंचल के नायकों की महत्वपूर्ण भूमिका थी, लेकिन स्वतंत्रता के बाद जनजातीय नायकों को कांग्रेस सरकारों में कभी सम्मान नहीं दिया गया।

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