कर्ण मिश्रा,ग्वालियर। मध्य प्रदेश के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी यानि की पीएचई विभाग के करोड़ों के घोटाले में विभाग के कर्मचारियों के अजब-गजब कारनामे सामने आ रहे हैं. घोटाला करने वालों ने मृत स्टाफ के नाम पर भी राशि निकाली. खाते नंबर बदलकर अलग-अलग समय पर भुगतान लिया गया. कोर्ट केसों में भी फर्जी भुगतान किए, जिन्हें राशि मिलना थी उन्हें भुगतान कर दोबारा उनके ही नाम पर खाते बदलकर भुगतान किया गया. ऐसे में अब क्राइम ब्रांच पुलिस ने 3 कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है.
ग्वालियर पीएचई विभाग में 16.24 करोड़ रुपए के घोटाले में बाबू हीरालाल और उसका भतीजा राहुल आर्य फिलहाल मास्टरमाइंड हैं. घोटाले का राज खुलते ही हीरालाल भूमिगत हो गया है. राहुल ने तो अपने किडनैप की कहानी रचने की कोशिश की. क्राइम ब्रांच ने हीरालाल और राहुल समेत तीन लोगों पर केस दर्ज किया है, तो वहीं पीएचई ने इनके खिलाफ जांच बैठा दी है.
पीएचई के आडिट में 71 बेनामी खातों में 16.24 करोड़ रुपए का लेनदेन मिला है. जालसाजी के लिए एक बैंक में 8 से 10 खाते खोले गए हैं. इनमें पैसा भेजा गया है. सबसे ज्यादा हेरफेर 21 खातों में हुआ है. खुलासा होने पर भोपाल तक खलबली मची. वहां से भी टीम जांच के लिए आई. हांलकि इस मामले में भोपाल की टीम जांच कर रही है. इसलिए नगर निगम आयुक्त ने अपनी तरफ से कोई ओर कमेटी नही बनाई है.
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में 16 करोड़ों 42 लाख रुपए के घोटाले में अब तक 2.50 करोड़ रुपए से अधिक की राशि जमा हो चुकी है. जांच टीम के अधिकारियों ने गड़बड़ी वाले खातों की जांच की और कितनी राशि किसी व्यक्ति द्वारा खाते में डाली गई हैं उसकी जानकारी ली.
बहरहाल ढाई करोड़ रुपये विभाग की ओर से सरेंडर कर खातों में राशि जमा करा दिए गए. इससे साफ है बड़े पैमाने पर घपला किया गया है. वित्त विभाग के आडिट में ग्वालियर में पीएचई विभाग में 16 करोड़ 50 लाख का घोटाला पकड़ा गया है. कर्मचारियों के वेतन, फंड, पीएफ से लेकर अलग-अलग बजट को 2018 से पांच साल की अवधि तक 71 निजी लोगों के खाते में भुगतान किया गया. पीएचई के निलंबित बड़े बाबू हीरालाल आर्य सहित अन्य ने यह फर्जीवाड़ा किया. घोटाला खुलने के बाद से हीरालाल गायब है.
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