देश के 8 शास्त्रीय नृत्यों में शामिल कथकली केरल की पहचान है। वैसे तो यह नृत्य सदियों से चला आ रहा है, लेकिन हाल ही में केरल के कलामंडलम में कथकली की ऐतिहासिक परफॉर्मेंस देखने को मिली है। 16 साल की मुस्लिम लड़की ने कथकली पर डांस करके नया कीर्तिमान रच दिया है। 16 वर्षीय मुस्लिम लड़की का नाम सबरी है, जो इन दिनों मीडिया पर जमकर सूर्खियां बटोर रहीं हैं। सबरी ने केरल के कलामंडलम में गुरुवार को कथकली पर परफॉर्म किया। इसी के साथ सबरी कथकली करने वाली पहली मुस्लिम महिला बन गईं।

दशहरा पर किया डेब्यू

गुरुवार को विजयादशमी के खास मौके पर सबरी ने कथकली डांस आर्टिस्ट के रूप में स्टेज पर अपना पहला डेब्यू किया। इस दौरान उन्होंने ‘कृष्ण वेषम पुरप्पाडु’ पर परफॉर्म किया। रामायण पर आधारित इस संगीत नाटकीय प्रस्तुति में उन्होंने कृष्णा वेशम का किरदार निभाया। 2023 में साबरी पहली मुस्लिम स्टूडेंट थी, जिसने कथकली सीखने के लिए इस संस्थान में एडमिशन लिया। उसने कथकली के दिग्गज कलामंडलम गोपी से इस शास्त्रीय नृत्य के गुर सीखे। अपनी परफॉरमेंस के बाद सबरी का कहना है, मैं बहुत खुश हूं कि आज मुझे मेरा सपना सच करने का मौका मिला। नृत्य मेरा जुनून है।

आलोचना के बावजूद बेटी को सिखाया कथकली

10वीं में पढ़ने वाली साबरी कोल्लम अंचल की रहने वाली हैं। वह फ़ोटोग्राफ़र निज़ाम अम्मास और अनीसा की बेटी हैं। साबरी के पिता निजाम अपनी बेटी की इस उपलब्धि से काफी खुश नजर आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि साबरी अपने गांव के पास एक मंदिर में रात भर चलने वाले कथकली नृत्य प्रदर्शन देखती थी। ये नृत्य रामायण पर आधारित होते थे। निजाम भी शिवरात्री उत्सव के लिए इस नृ्त्य आयोजन में तस्वीरें खींचते थे। निजाम ने बताया कि जब साबरी का मन में कथकली के लिए रुचि जगी तो उन्होंने बेटी का सपना पूरा करने की ठानी। हालांकि इसकी खूब आलोचना हुई, मगर वह साबरी के साथ खड़े रहे। निजाम के अनुसार, “केरल के कलामंडलम स्टेज पर कथकली करके सबरी ने अपने सालों पुराने सपने को हासिल कर लिया है।” उनके सबसे बड़े बेटे मुहम्मद यासीन पहले ही त्रिशूर स्थित कलामंडलम में कथकली सीख रहे हैं।

साल 2023 में कलामंडलम में लिया था एडमिशन

साबरी को 2023 में कलामंडलम में एडमिशन मिला था। कलामंडलम के रजिस्ट्रार पी राजेश कुमार ने बताया कि संस्थान ने लैंगिक समानता लाने के उद्देश्य से 2022 में लड़कियों को कथकली में एंट्री देने का फैसला किया। पहले सिर्फ लड़कों को एडमिशन दिया जाता था। कथकली सीखने वालों को नियमित रूप से शरीर की मालिश की जरूरत होती है। जब लड़कियों की एंट्री की बारी आई तो मालिश की शर्त हटा ली गई। अभी 40 लड़कियां कथकली से जुड़े 40 कोर्स में पढ़ रही हैं।

क्या है कलामंडलम?

बता दें कि कलामंडलम को केरल के शास्त्रीय नृत्य का केंद्र माना जाता है। 1930 में मशहूर कवि वल्लथोल नारायण मेनन ने मुकुंदराज के साथ मिलकर इसकी स्थापना की थी। यहां कथकली के अलावा मोहिनीअट्टम और कूडियाट्टम जैसे नृत्य परफॉर्म किए जाते हैं।

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