राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। एमपी के 162 सरकारी डॉक्टर गायब हैं। कोई डॉक्टर 38 साल तो कोई 28 साल से लापता है। स्वास्थ्य विभाग अब लापता डॉक्टरों को ढूढंने में जुट गई है। स्वास्थ्य विभाग गायब डॉक्टर्स को हाजिर होने का अल्टीमेटम जारी किया है। 7 दिन में ड्यूटी ज्वाइन नहीं करने पर एेसे डॉक्टरों की सेवा से पृथक करने की कार्रवाई शुरू की जाएगी। हेल्थ डायरेक्टर सुदाम पी खाड़े ने लापता 162 डॉक्टरों को नोटिस जारी किया है। विभाग इन डॉक्टर्स को पहले भी कई बार नोटिस दे चुका है।

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लापता डॉक्टरों में से ज्यादातर मेडिकल ऑफिसर हैं। जबकि कुछ विशेषज्ञ डॉक्टर हैं। सबसे ज्यादा 10 डॉक्टर मंडला के हैं। जबलपुर के डॉ. महेंश चंद्र ब्यौहार फरवरी 1984 से विभाग के रिकॉर्ड में गायब हैं। 5 साल पहले इनका निधन हो चुका, लेकिन विभाग को अब तक नहीं पता। वहीं कटनी के डॉ. विनीत कुमार गुप्ता 31 मार्च 1994 यानी 28 साल से लापता हैं।

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होशंगाबाद के डॉ. वसुधा तिवारी 12 अप्रैल 1999 से बिना किसी सूचना के गायब हैं। इंदौर की डॉक्टर एसएल उज्जैनी मार्च 2014 से लापता हैं। रायसेन की डॉ. मधु राठौर पिछले 12 साल से लापता हैं। विदिशा की डॉ. योगेंद्र सिंह बाडिया 21 जुलाई 2010 से गायब हैं।

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वहीं रीवा के डॉ. अभिषेक जैन पिछले 11 साल से बिना किसी को सूचना दिए गायब हैं। साथ ही छिंदवाड़ा के डॉ. कुलदीप वर्मा 13 जून 2005 से गायब हैं। जबकि बड़वानी के डॉ. शशिकांत चौहान 11 साल से लापता हैं।

कोरोना काल में भई नौकरी पर नहीं लौटे

स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने बताया कि गायब हुए 162 डॉक्टर्स को 26 जून 2020 को अपनी ड्यूटी पर उपस्थित होने के लिए समय दिया गया था। क्योंकि 2020 में प्रदेश में कोरोना की शुरुआत हुई थी। इस दौरान सरकार ने एस्मा लागू कर दिया था। सभी सरकारी डॉक्टर्स की छुट्‌टी निरस्त कर दी गई थी, काम पर लौटने के लिए इनको बुलाया जा रहा था।

स्वास्थ्य आयुक्त सुदाम पी खाडे ने कहा कि गायब इन सभी डॉक्टरों को नौकरी पर लौटने के लिए 7 दिन का अल्टीमेटम दिया गया है। इसके बाद भी अगर ये डॉक्टर नहीं लौटेंगे तो नियम अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

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