सत्या राजपूत, रायपुर. छत्तीसगढ़ में लोक शिक्षण संचालनालय के आदेश को निजी स्कूलों ने ठेंगा दिखाया है। नियम प्रावधान के बावजूद 7 हजार से ज्यादा प्राइवेट स्कूलों में से 1784 प्राइवेट स्कूलों ने सरकारी किताबें नहीं ली है। इस मामले में पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष राजा पांडेय ने कहा, जिन स्कूलों ने किताब नहीं ली है उनका लिस्ट लोक शिक्षण संचालनालय को सौंपेंगे। आगे किस तरह से कार्रवाई करेंगे, ये शिक्षा विभाग के अधिकारी तय करेंगे।
शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलों का यू डाइस कोड दिया था। सरकारी किताब नहीं लेने पर शिक्षाविदों ने सवाल उठाया है। उनका कहना है कि जब ये किताब नहीं लिए हैं तो फिर व्यापार किया गया है। बाहरी प्रकाशकों की पुस्तके ख़रीदने के लिए पालकों को मजबूर किया गया है। बाहरी प्रकाशकों की पुस्तक से पढ़ाई कराई जा रही है। शिक्षा विभाग द्वारा निर्देशित किया गया था कि SCERT के पुस्तकों से पढ़ाई होगी, इसके लिए आदेश भी जारी हुआ था। ऐसे में जो कक्षा पांचवी और आठवीं की केंद्रीकृत परीक्षा होना है तो इन स्कूलों के बच्चे कैसे परीक्षा देंगे ?



प्राइवेट स्कूलों और अधिकारियों के बीच मिलीभगत का आरोप
पैरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष क्रिस्टोफर पॉल ने कहा, ये प्राइवेट स्कूल और अधिकारियों के बीच का मिलीभगत है। अधिकारियों के कमीशन के खेल में शिक्षा विभाग फेल है। शिक्षा विभाग का आदेश है कि सभी स्कूलों को SCERT की किताब से पढ़ाई कराना। आधा से ज़्यादा सत्र निकल गया और किसी स्कूलों में कार्रवाई नहीं हुई है तो इसका मतलब क्या है ?केन्द्रीयकृत परीक्षा पांचवीं और आठवीं का होना है, इसमें बच्चों के भविष्य को दांव में लगा दिया गया है। अलग-अलग पुस्तकों से पढ़ाई हो रही है। बच्चे कैसे परीक्षा देंगे?

सिर्फ रिकॉर्ड में स्कूल संचालित होने की आशंका
दूसरी तरफ़ शिक्षाविद् और पालक संघ के लोगों ने आशंका ज़ाहिर की है कि जिन स्कूलों ने पुस्तक नहीं लिया है ये स्कूल सिर्फ़ रिकॉर्ड में संचालित हो सकते हैं, ताकि तमाम योजनाओं का फ़ायदा लिया जा सके। अगर यही स्कूल काग़ज़ों में संचालित होगा तो शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत बड़ा घोटाला किया जा रहा है।


