जैसलमेर। राजस्थान के जैसलमेर जिले में गुरुवार को कुछ ऐसा मिला जिसके बारे में विशेषज्ञों का मानना है कि ये डायनासोर युग के किसी पंख वाले सरीसृप के कशेरुकी जीवाश्म हो सकते हैं.
फतेहपुर में एक तालाब की खुदाई के दौरान मजदूरों को यह जीवाश्म मिला. ग्रामीण मुकेश पालीवाल और सुरेंद्र सिंह ने बताया कि यह एक “बड़ी हड्डी जैसी संरचना और पत्थर देखे जो जीवाश्म बनकर लकड़ी जैसे सख्त हो गए थे”.
वैज्ञानिकों का कहना है कि उनकी यह खोज पश्चिमी भारत के जीवाश्म मानचित्र को फिर से लिख सकती है. एएसआई और जीएसआई की टीमें अब सटीक उम्र और प्रजाति का पता लगाने के लिए काम करेंगी.
वरिष्ठ भूविज्ञानी नारायण इनिखिया ने इन अवशेषों की पहचान कशेरुकी जीवाश्म के रूप में की है, जो संभवतः 8 से 10 फीट लंबे किसी जीव के हैं. इनिखिया ने कहा, “यह संरचना 6 से 7 फीट ऊँची है. इसमें कशेरुकी आकृतियाँ स्पष्ट हैं. यह एक उड़ने वाला शाकाहारी डायनासोर हो सकता है.”
जैसलमेर का प्रागैतिहासिक काल से यह पहला संपर्क नहीं है. अकाल और थईयात के जीवाश्म डायनासोर युग के पाए गए हैं. लेकिन अगर इसकी पुष्टि हो जाती है, तो यह इस क्षेत्र के लाठी संरचना में खोजा गया पहला उड़ने वाला सरीसृप जीवाश्म होगा,
लाठी जैसलमेर में जीवाश्मों से भरपूर एक भूवैज्ञानिक संरचना है, जो लगभग 180-200 मिलियन वर्ष पूर्व जुरासिक काल के दौरान जीवन के विकास की जानकारी प्रदान करती है. थार अब विज्ञान द्वारा इस बात की पुष्टि का इंतजार कर रहा है कि समय ने क्या दफना दिया है.