प्रदीप गुप्ता, कवर्धा. जिले के अधिकांश शासकीय स्कूल शिक्षकों की समस्या से जूझ रहे हैं. वहीं वनांचल क्षेत्र के कुछ स्कूल भगवान भरोसे संचालित किए जा रहें है. जहां शिक्षकों की मनमानी बच्चों के भविष्य को अंधकार की ओर ढकेल रहे हैं. ऐसा ही एक शासकीय स्कूल है, जहां के प्रधान पाठक स्कूल ही नहीं आते. लेकिन अपने बदले में गांव के ही दो युवतियों को किराए में रखकर पढ़ाने के लिए भेजते हैं.

जिले के बोड़ला ब्लाक अंतर्गत सुदूर वनांचल इलाका के शासकीय प्राथमिक स्कूल लावा की हम बात कर रहे हैं. जहां स्कूल में बच्चों की दर्ज संख्या 17 है. जब स्कूल का पड़ताल किया तो 2 मैडम एक क्लास में बच्चों को पढा रही थी और फिर देखते ही शांत हो गईं. जब मैडम और बच्चों से बातचीत की गई तो उसके बाद पूरे मामले से रूबरू हुए.

दरअसल, प्रधान पाठक कमलदास मुरचले ने गांव के ही 12वीं पढ़े दो मैडम को 3-3 हजार सैलरी मे रखे हैं. स्कूल के बच्चों की माने तो प्रधानपाठक (बड़े सर) स्कूल आते नहीं हैं. अपने बदले में 2 महिला टीचरों की व्यवस्था कर दिए, ताकि सरकारी तनख्वाह मिलता रहे और पढ़ाने की झंझट भी ना रहे. गांव के 2 मैडमों की नियुक्ति कर दी है.



वहीं इस सबंध मे जिला शिक्षा अधिकारी से हमने बात किया तो उन्होंने मामले का जांच कराने का आश्वासन दिया और जांच के बाद उचित कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं. लेकिन वनांचल क्षेत्र के अधिंकाश स्कूलों के शिक्षक स्कूल नहीं जाते हैं. भाग के अधिकारी इन क्षेत्रों में निरीक्षण करने भी नहीं पहुंचते, जिसका खमियाजा बच्चे भुगत रहे हैं. अब देखना होगा ऐसे लापरवाह शिक्षक के उपर क्या कार्रवाई होती है.

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