राकेश चतुर्वेदी,भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की बैरसिया तहसील के 25 गांव समंदर बन गए हैं. इन गांवों की करीब 20 हजार एकड़ जमीन अभी भी पानी में डूबी हुई है. पानी में जलमग्न खेतों की फसल गलकर काई जैसी हो गई है. हालात ऐसे हैं कि 1977 में बनकर तैयार हुए हलाली डैम का जलस्तर अपने सारे रिकाॅर्ड तोड़कर 1521 फीट पर पहुंचा और सप्ताहभर बाद भी डैम का जलस्तर एफटीएल यानी फुल टैंक लेबल से करीब छह फीट अधिक बना हुआ है.
पिछले सप्ताह भोपाल और आसपास के इलाकों में आई बाढ़ ने सबसे अधिक कहर बैरसिया के किसानों पर बरपाया है. भोपाल से महज 40 किलोमीटर दूर बैरसिया के हलाली डैम का एफटीएल 1508 फीट है. बाढ़ आई तो डैम का जलस्तर 1521 फीट पर पहंुच गया, जो कि डैम के 45 साल के इतिहास में सबसे अधिक है. डैम में जलस्तर बढ़ने से 25 से अधिक गांवों की करीब 25 हजार एकड़ जमीन जलमग्न हो गई. इलाके का नजारा समंदर की तरह नजर आ रहा है.
इस जमीन में धान, सोयाबीन के साथ अन्य फसल और सब्जियां लगी हुई थीं. भोपाल सहित आसपास के इलाकों में पिछले पांच दिन से बारिश रुकी हुई है, इसके बाद भी डैम का जलस्तर एफटीएल लेबल तक ही नहीं आया है और अभी भी करीब 20 हजार एकड़ के खेत पानी में जलमग्न हैं. पीड़ित किसानों का कहना है कि डैम में गेट नहीं है.पानी निकासी के लिए डैम की वाॅल से छोटा सा रास्ता बनाया गया है. इसलिए डैम का पानी खाली नहीं हो पा रहा. डैम को एफटीएल तक ही आने में अभी वक्त लगेगा, लेकिन इस बीच बारिश हुई तो डैम फिर अपना रौद्र रूप दिखाएगा.
गांव के गांव समा गए डैम में
बाढ़ की चपेट में बैरसिया के गांव आए तो बड़ी संख्या में लोग घर विहीन हो गए. बाढ़ के बीच लोग अपने घर का पूरा सामान छोड़कर राहत शिविरों की ओर भागे. कुछ गांवों के घरों का पानी उतर चुका है लेकिन आज भी राहत शिविरों में ही रहने को मजबूर हैं. भौंसाखेड़ी के पंचायत भवन में पूरे परिवार के साथ रह रहे भीकम सिह का कहना है कि घर पानी में डूब गया, कुछ बचा ही नहीं अब जाएं तो जाएं कहां. वहीं बाढ़ में घर बह जाने से प्रीतम सिंह परिवार के साथ गांव के स्कूल में रहने को मजबूर हैं.
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