हर साल विदेश में बसने वाले भारतीयों की संख्या बढ़ती जा रही है. 2 लाख लोग हर साल विदेश में बस रहे हैं और भारतीय नागरिकता को छोड़ रहे हैं. पिछले पांच साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो 9 लाख भारतीयों ने देश की नागरिकता को छोड़ दिया है. इनकी नागरिकता छोड़ने के पीछे की मुख्य वजहों में विदेशी मुल्कों में बेहतर जीवन, नौकरी, अच्छी पढ़ाई के अवसर को देखा जा रहा है. इन आंकड़ों और वजहों के बारे में संसद में विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने बताया.
राज्यसभा में जवाब देते हुए विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह कहा- 2011 से 2024 के बीच लगभग 21 लाख भारतीयों ने विदेशी नागरिकता अपनाई. 2021 के बाद नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या में बड़ा उछाल देखने को मिला. जहां कोरोना महामारी के वर्ष 2020 में यह आंकड़ा घटकर 85 हजार के करीब रह गया था, वहीं इसके बाद यह संख्या 2 लाख के आसपास पहुंच गई.
पुराने आंकड़े क्या कहते हैं?
पुराने आंकड़ों पर गौर करें तो 2011 में 1,22,819 लोगों ने नागारिका छोड़ दी. 2012 में इसके आंकड़ों पर थोडी कमी देखी गई और यहां जाने वाले लोगों की संख्या 1,20,923 रही. वहीं 2013 में इसकी संख्या में इजाफा हुआ और ये संख्या बढ़कर 1,31,405 हो गई. वहीं 2014 में फिर से थोड़ा कमी दर्ज की गई और ये संख्या 1,29,328 रही. वहीं 2015 में नागरिका छोड़ने वालों के आंकड़े फिर से बढ़ गए और 1,31,489 लोगों ने देश छोड़ दिया.
विदेश में रहने वाले भारतीयों की शिकायतें
इसके अलावा 3 सालों में विदेशी नागरिकों से संबंधित 9.45 लाख शिकायतें दर्ज की गईं. विदेश मंत्रालय के मुताबिक इसमें से अधिकतर शिकायतें ‘ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया’ कार्ड धारकों से जुड़ी हुई सामने आईं. खास बात यह है कि 2024-25 के दौरान विदेश में रहने वाले भारतीयों से मिली शिकायतों की संख्या पर एक सवाल के जवाब में, MoS ने कहा कि MEA को 16,127 शिकायतें मिलीं. ये शिकायतें सरकार के ऑनलाइन शिकायत प्लेटफॉर्म के ज़रिए दर्ज की गईं. इसमें 11,195 मामले थे और CPGRAMS के 4,932 मामले मिले थे.
सबसे ज़्यादा परेशानी वाले मामलों की रिपोर्ट करने वाले देशों की लिस्ट में सऊदी अरब सबसे ऊपर था, जिसमें 3,049 शिकायतें थीं, इसके बाद UAE (1,587), मलेशिया (662), US (620), ओमान (613), कुवैत (549), कनाडा (345), ऑस्ट्रेलिया (318), UK (299) और कतर (289) जैसे देश थे.
3 साल में 5,945 भारतीय मिडिल-ईस्ट से लौटे
इसके अलावा सरकार ने बताया कि पिछले 3 वर्षों में सुरक्षा कारणों से मिडिल ईस्ट के देशों से 5,945 भारतीय नागरिकों को निकाला गया. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में बताया कि इनमें इजराइल से ‘ऑपरेशन अजय’ और ईरान-इजराइल से ‘ऑपरेशन सिंधु’ शामिल हैं. इसके अलावा कुवैत अग्निकांड में मारे गए 45 भारतीयों के शव भी भारत लाए गए.
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