Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण में सीमांचल का इलाका सबसे अहम साबित होने वाला है। हिमालय की तराई से सटा यह क्षेत्र भौगोलिक, सामाजिक और राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील माना जाता है। सीमांचल में चार जिले पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज मिलकर कुल 24 विधानसभा सीटें बनाते हैं। यही इलाका बिहार की सत्ता तक पहुंचने का बड़ा रास्ता माना जाता है।

रणनीतिक और भौगोलिक महत्व

सीमांचल का इलाका नेपाल और बांग्लादेश की सीमाओं से सटा है, जबकि इसका एक सिरा पश्चिम बंगाल से जुड़ता है। इस वजह से यह क्षेत्र न केवल रणनीतिक दृष्टि से अहम है, बल्कि राजनीतिक रूप से भी हमेशा चर्चा में रहता है। यहां की आबादी विविध है, विभिन्न जातियों, भाषाओं और समुदायों का मिश्रण- जो हर चुनाव में सियासी समीकरणों को उलट-पलट कर देती है।

विकास बनाम बुनियादी मुद्दे

हाल के वर्षों में सीमांचल में विकास की कई नई तस्वीरें उभरी हैं। पूर्णिया एयरपोर्ट से अब नियमित उड़ानें शुरू हो चुकी हैं, जिससे पूरे इलाके की कनेक्टिविटी बढ़ी है। इसके साथ ही वंदे भारत और अमृत भारत जैसी ट्रेनों की सौगात से रेल नेटवर्क मजबूत हुआ है। सड़कों और हाईवे के विस्तार ने सीमांचल को राज्य के बाकी हिस्सों से बेहतर जोड़ा है। हालांकि बेरोजगारी, शिक्षा की कमी और पलायन जैसे मुद्दे अब भी मतदाताओं के बीच सबसे बड़े सवाल बने हुए हैं।

राजनीतिक समीकरण और मुकाबला

सीमांचल का इलाका लंबे समय से राजद, जदयू और भाजपा जैसी बड़ी पार्टियों के बीच सियासी संघर्ष का केंद्र रहा है। इस बार भी एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधी टक्कर है, जबकि एआईएमआईएम और जनसुराज पार्टी कई सीटों पर मुकाबले को दिलचस्प बना रही हैं। यहां के मतदाता जातीय समीकरणों के साथ-साथ विकास के वादों को भी परख रहे हैं।

बड़ी सीटें और दिग्गज उम्मीदवार

इस चरण में सीमांचल की कई सीटों पर बड़े नेताओं की साख दांव पर लगी है —

  • धमदाहा (पूर्णिया) से जदयू की मंत्री लेशी सिंह मैदान में हैं।
  • सिकटी (अररिया) से भाजपा मंत्री विजय कुमार मंडल को वीआईपी उम्मीदवार हरिनारायण प्रामाणिक चुनौती दे रहे हैं।
  • कटिहार सदर से पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद और वीआईपी के सौरभ अग्रवाल (भाजपा एमएलसी अशोक अग्रवाल के पुत्र) के बीच मुकाबला दिलचस्प है।
  • कदवा सीट पर कांग्रेस के शकील अहमद खान और जदयू के दुलाल चंद गोस्वामी के बीच सीधी टक्कर है।
  • अमौर (कटिहार) से एआईएमआईएम प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान मैदान में हैं।
  • जोकीहाट (अररिया) सीट पर सबसे रोमांचक मुकाबला है, जहां दो सगे भाई आमने-सामने हैं — राजद के शाहनवाज आलम और जनसुराज पार्टी के सरफराज आलम।

2020 के नतीजे और इस बार की हवा

पिछले चुनाव में सीमांचल की 24 सीटों पर एनडीए और महागठबंधन ने लगभग बराबर-बराबर सीटें जीती थीं। इस बार मुकाबला और भी कांटे का हो गया है। स्थानीय मतदाताओं के रुझान भी बदलते दिख रहे हैं। कटिहार के विजय ठाकुर कहते हैं, “चेहरों से नाराजगी है, लेकिन दलों से नहीं।” वहीं पूर्णिया के मछली विक्रेता शंकर का कहना है, “पहले मौसम कुछ था, अब मिजाज कुछ और है।”

पूरे बिहार पर होगा नतीजों का असर

सीमांचल का वोटर अक्सर चुनाव के आखिरी वक्त में हवा बदलने के लिए जाना जाता है। इस बार भी ऐसा ही संकेत मिल रहे हैं। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि सीमांचल का फैसला यह तय करेगा कि बिहार की सत्ता की कुर्सी एनडीए के विकास मॉडल की ओर झुकेगी या महागठबंधन के सामाजिक समीकरणों के साथ जाएगी। दूसरे चरण में 11 नवंबर को जब सीमांचल के मतदाता वोट डालेंगे, तो यह कहना गलत नहीं होगा कि सिर्फ 24 सीटों का नहीं बल्कि बिहार की सत्ता के भविष्य का फैसला भी उनके हाथ में होगा।

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