शिखिल ब्यौहार, भोपाल। देश में सर्वाधिक बाघों की संख्या के मध्य प्रदेश को मानो नजर लग गई है। बीते छह माह में 24 बाघों ने दम तोड़ा। हाल ही में रातापानी के वन क्षेत्र औबेदुल्लागंज में एक बाघ की लाश मिली। शिकायत के चौबीस घंटे बाद बाघ का लावारिस शव वॉटर बॉडी के पास मिला। नींद में सोए वन विभाग को बाघ संरक्षक और जानकार अजय दुबे ने सूचना दी थी। लगातार 30 घंटे की सर्चिंग बाघ के शव से सिर गायब मिल वन विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। वहीं इस मामले पर बीजेपी ने अजीब बयान दिया है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता का कहना है कि जहां संख्या ज्यादा होगी, वहां मौत के मामले भी बढ़ेंगे।
मामले को लेकर बाघ संरक्षक और जानकार अजय दुबे ने बताया कि टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश के माथे पर बीते 12 सालों से सबसे ज्यादा बाघों की मौत के साथ सर्वाधिक शिकार का कलंक लगा हुआ है। उन्होंने बताया कि इसमें भी दोमत नहीं कि बाघों की सुरक्षा से समझौता हो रहा है। वाइल्डलाइफ अफसरों में कर्मठता की कमी है। लिहाजा बाघों के शिकार की घात लगाए बैठे शिकारी बड़ी आसानी से शिकार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि बारिश के सीजन में वन महकमे को जितना सजग होना चाहिए उतना ही लापरवाह है। बारिश में पर्यटकों के प्रवेश पर रोक होती है। ऐसे में वन विभाग को पेट्रोलिंग के साथ मुखबिर तंत्र के सहारे कहीं ज्यादा सतर्कता बरती जानी चाहिए। सतपुड़ा समेत ओबेदुल्लागंज के मामलों में वन विभाग के अफसरों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। उन्होंने डीएफओ स्तर के अफसरों पर कार्रवाई की मांग सरकार से की है।
बाघों की मौत पर सियासत
बाघों की मौत के मामलों को लेकर एक बार फिर प्रदेश का सियासी पारा भी चढ़ने लगा है। कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता अमित शर्मा ने आरोप लगाया कि राजनीतिक संरक्षण के साथ अफसरों की मिलीभगत से प्रदेश में बाघों का शिकार संभव नहीं है। एक और केंद्र से चीता को एमपी में पुनर्स्थापित किया जाता है तो दूसरी ओर टाइगर स्टेट एमपी में सर्वाधिक बाघों का शिकार हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट के साथ एनटीसीए की गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
उधर, बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता जय सिंह यादव कांग्रेस के आरोप पर कहा कि दिशाहीन कांग्रेस को ऐसे संवेदनशील मामले पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। बीजेपी शासनकाल में ही एमपी को टाइगर स्टेट का खिताब हासिल हुआ तो बरकरार भी है। संरक्षण की दिशा में लगातार सरकार अपना काम कर रही है।उन्होंने यह भी नसीहत दी कि जहां बाघों की संख्या अधिक होगी वहां मौत के मामले भी बढ़ेंगे। कभी बीमारी तो कभी आयु सीमा के कारण बाघों के मौत के मामले सामने आ रहे हैं। रही बात शिकार की तो सख्ती के साथ इन पर लगाम लगाने के लिए कई स्तर पर महकमा काम कर रहा है।
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