लखनऊ. प्रख्यात कलाकार और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित प्रोफेसर रणवीर सिंह बिष्ट की कथित चिकित्सा लापरवाही के कारण मृत्यु के लगभग 24 साल बाद, उत्तर प्रदेश राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने यहां संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआईएमएस) पर 39 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. आदेश के अनुसार, प्रोफेसर रणबीर सिंह 1986 से एनजाइना के रोगी थे और 2 सितंबर 1998 को एसजीपीजीआई में भर्ती हुए थे. हालांकि, इलाज के दौरान 25 सितंबर 1998 को उनकी मृत्यु हो गई.

प्रोफेसर बिष्ट की बेटी पुष्पिता बिष्ट ने तब उपभोक्ता निकाय का रुख किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि डॉक्टरों ने इलाज में लापरवाही की और इससे उनके पिता की मृत्यु हो गई. उसने आगे आरोप लगाया कि रोगी को दी जाने वाली दवा और उपचार ठीक से नहीं किया गया और पेसमेकर को परिवार के सदस्यों की सहमति के बिना हटा दिया गया. साथ ही डॉ. पी.के. गोयल ने मरीज की गलत उम्र का जिक्र किया.

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जबकि एसजीपीजीआईएमएस ने स्पष्टीकरण की पेशकश की और तर्क दिया कि लापरवाही के कारण रोगी की मृत्यु नहीं हुई. अदालत ने राजेंद्र सिंह (अध्यक्ष), सुशील कुमार और विकास सक्सेना (सदस्य) के स्पष्टीकरण को असंतोषजनक पाया. नतीजतन, अदालत ने एसजीपीजीआईएमएस को शिकायतकर्ता को लापरवाही और सेवा में कमी के लिए मुआवजे के रूप में 25 सितंबर, 1998 से 10 प्रतिशत की दर से 19 लाख रुपए का भुगतान करने का आदेश दिया. इसने अलग से मानसिक तनाव के लिए 20 लाख देने का आदेश दिया.

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