रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग ने थोड़े दिनों के अंतराल में ही छत्तीसगढ़ के दूसरे आईएफएस अधिकारी को रुपए 25 हजार की पेनल्टी लगाई है. दोनों ही मामले असम से लाए जाने वाले वन भैसों की सूचना प्रदान करने से थे. पहले प्रकरण में असम से लाए जाने वाले वन भैसों की नस्तियों का अवलोकन नहीं कराने के कारण पेनल्टी लगी थी. अब दूसरे प्रकरण में असम से लाए जाने वाले वन भैंसों से संबंधित पत्राचार नहीं देने के कारण पेनल्टी लगाई गई है.

दरअसल रायपुर के नितिन सिंघवी ने पहले अगस्त 2019 में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) के कार्यालय में असम से लाए जाने वाले वन भैसों से संबंधित हुए समस्त पत्रकारों की प्रतियां मांगी थी. जन सूचना अधिकारी ने यह कहते हुए सूचना देने से मना कर दिया कि असम से लाए जाने वाले वन भैसों के संबंध में कोई पत्राचार नहीं हुआ है.

सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत कोई नागरिक दस्तावेजों की प्रतियां मांग सकता है या फिर नस्तियों का अवलोकन भी कर सकता है. इसलिए सिंघवी ने एक नया आवेदन लगाकर कहा कि असम से लाए जाने वाले वन भैसों की नस्तियों का अवलोकन करवा दिया जाए. जन सूचना अधिकारी ने नस्तियों का अवलोकन भी करवाने से मना कर दिया.

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असम से लाए जाने वन भैसों की नस्तियों का अवलोकन नहीं करवाने के मामले में राज्य सूचना आयोग ने पहले ही पंकज राजपूत आईएफएस तत्कालीन जन सूचना अधिकारी कार्यालय प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) वर्तमान में डीएफओ महासमुंद पर कुछ दिन पूर्व 25000 की पेनल्टी लगाई है.

असम से लाए जाने वाले वन भैसों से संबंधी पत्राचारों की कॉपी नहीं देने के कारण सिंघवी द्वारा द्वितीय अपील लगाई, जहां बताया गया कि विभाग असम से वन भैंसा लाने के लिए 2017 से पत्राचार कर रहा है, जिसका उल्लेख राज्य वन जीव बोर्ड की बैठक में किया गया है.

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सूचना आयुक्त ए.के. अग्रवाल ने वन भैसों के संबंध में हुए पत्राचार के मामले में आयोग को संतोषजनक और समाधानकारक जवाब नहीं दिए जाने के कारण कौशलेंद्र कुमार तत्कालीन मुख्य वन संरक्षक (ईकोटूरिज्म), कार्यालय प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) को डीम्ड जन सूचना अधिकारी मानते हुए सूचना उपलब्ध नहीं कराने के कारण रुपए 25000 की पेनल्टी लगाई है.

डीम्ड जन सूचना आधिकारी वह अन्य अधिकारी होता है जिससे जन सूचना अधिकारी, सूचना प्रदाय करने के लिए सहायता मांगता है और गलती पाए जाने पर डीम्ड जन सूचना आधिकारी पर पेनल्टी लगाने का भी प्रावधान है. प्रकरण में जन सूचना अधिकारी ने सूचना प्रदाय करने के लिए कौशलेन्द्र कुमार से सहायता मांगी थी. इसलिए कौशलेन्द्र कुमार को सूचना आयोग ने डीम्ड जन सूचना अधिकारी माना.

कौशलेन्द्र कुमार वर्तमान में अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, राज्य वन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान रायपुर है. प्रकरण में प्रधान मुख्य वन संरक्षक को आदेशित किया गया है कि वह पेनल्टी की वसूली कर शासन के कोष में जमा करवाएं.

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