26/11 मुंबई आतंकी हमलों के दोषी तहव्वुर राणा (Tahawwur Rana) भारत लाया जा रहा है. मिली जानकारी के अनुसार जांच एजेंसी NIA और खुफिया एजेंसी RAW की एक जॉइंट टीम तहव्वुर को लेकर स्पेशल फ्लाइट में रवाना हो चुकी हैं. आज देर रात तक उसके भारत पहुंचने की संभावना है. राणा को NIA अगले कुछ हफ्तों तक उसे अपनी कस्टडी में रखेगी.
2008 मुंबई आतंकी हमले के दोषी राणा के प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की याचिका अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को खारिज कर दी. राणा ने भारत आने से बचने के लिए याचिका दायर की थी. अपनी याचिका में राणा खुद को पार्किंसन बीमारी से पीड़ित बताते हुए कहा था कि अगर भारत डिपोर्ट किया गया तो उसे प्रताड़ित किया जा सकता है.
गौरतलब है कि 26 नवंबर 2008 को मुंबई में आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने हमले किए. चार दिनों तक चले इन हमलों में कुल 175 लोग मारे गए, जिनमें 9 हमलावर भी शामिल थे, और 300 से अधिक लोग घायल हुए.
अमेरिका के शिकागो में अक्टूबर 2009 में FBI ने ओ’हेयर एयरपोर्ट से तहव्वुर राणा को गिरफ्तार किया था. राणा पर मुंबई और कोपेनहेगन में आंतकी हमले को अंजाम देने के लिए जरूरी सामान मुहैया कराने का आरोप था. हेडली की गवाही के आधार पर तहव्वुर को 14 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी. वह अमेरिका के लॉस एंजिल्स के एक डिटेंशन सेंटर में बंद है. राणा को अमेरिका में लश्कर-ए-तैयबा का समर्थन करने के लिए दोषी ठहराया गया था.
जांच एजेंसियों के अनुसार, राणा ने इन हमलों की योजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और वह खुद नवंबर 2008 में 11 से 21 तारीख के बीच दुबई होते हुए मुंबई आया. उसने होटल रेनासां (पवई) में ठहरकर हमले से संबंधित तैयारियों की समीक्षा की, और हमले ठीक पांच दिन बाद 26 नवंबर को हुए.
अमेरिकी न्याय विभाग के दस्तावेजों के अनुसार, तहव्वुर राणा और डेविड हेडली को 2009 में एफबीआई ने डेनमार्क के एक समाचार पत्र पर हमले की योजना बनाने और लश्कर-ए-तैयबा को सहायता देने के आरोप में गिरफ्तार किया था. भारत सरकार ने 2019 में राणा के प्रत्यर्पण के लिए अमेरिका को एक कूटनीतिक नोट भेजा था. जून 2020 में, भारत ने उसकी अस्थायी गिरफ्तारी के लिए औपचारिक शिकायत दर्ज कराई, जिससे प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में मदद मिली.
इस वर्ष फरवरी में, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राणा के भारत प्रत्यर्पण की पुष्टि की और कहा कि वह “भारत जाकर न्याय का सामना करेगा.” राणा का प्रत्यर्पण भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक और कानूनी सफलता माना जा रहा है, जिसके लिए मोदी सरकार ने 2019 से निरंतर प्रयास किए हैं.
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इस संपूर्ण ऑपरेशन की देखरेख राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और गृह मंत्रालय के उच्च अधिकारियों द्वारा की गई है. राणा, जो पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है, लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का एक सक्रिय सदस्य रहा है. उसने अपने साथी, पाकिस्तानी-अमेरिकी डेविड कोलमैन हेडली, जिसे दाऊद गिलानी के नाम से भी जाना जाता है, को भारत यात्रा के लिए पासपोर्ट उपलब्ध कराया. हेडली ने ही उन लक्ष्यों की पहचान की थी, जिन पर नवंबर 2008 में लश्कर और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के सहयोग से आतंकवादी हमला हुआ.
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